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सीबीसीएस पाठ्यक्रम को केंद्र में रखकर कार्यशाला का आयोजन

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मधेपुरा/ ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में शनिवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत लागू चार वर्षीय स्नातक (सीबीसीएस) कार्यक्रम को केंद्र में रखकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कुलपति प्रो. (डॉ.) राजनाथ यादव ने कहा कि  बीएनएमयू में सत्र 2023-2024 (जुलाई- दिसम्बर 2023) से चार वर्षीय स्नातक (सीबीसीएस) कार्यक्रम लागू किया गया है। इसमें नामांकित विद्यार्थियों की सतत आंतरिक मूल्यांकन (सीआईए) परीक्षा 2-6 नवंबर तक  निर्धारित है। उन्होंने बताया कि सीबीसीएस के अंतर्गत सीआईए तीस अंकों का होना है। इसमें पंद्रह अंक टेस्ट, दस अंक असाइनमेंट/ सेमिनार/क्विज प्रेजेंटेशन और पांच अंक उपस्थिति पर दिए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि कक्षाओं के संचालन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए और कक्षाओं में विद्यार्थियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति हेतु हरसंभव प्रयास किए जाएँ। एक भी विद्यार्थी आए, तो भी कक्षाएं आयोजित की जाएं। उन्होंने बताया कि सीबीसीएस कोर्स करने से विद्यार्थियों को कई फायदा होगा। विद्यार्थी अपनी पसंद से जो भी विषय पढ़ना चाहें, उसका चयन कर सकते हैं।कुलपति ने सभी प्रधानाचार्यों को निदेशित किया है कि विद्यार्थियों के पंजीयन के समय सही से विषय भरना सुनिश्चित करा लें।

सीबीसीएस में है क्रेडिट सिस्टम : मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता डीएसडब्ल्यू प्रो. (डॉ.) राजकुमार सिंह ने बताया कि चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम के प्रथम सेमेस्टर में 6 पत्र हैं। इसमें से तीन मेजर (एमजेसी), माइनर (एमआईआर) एवं मल्टी-डिस्सीप्लनरी (एमडीसी) में 70 अंक की मुख्य परीक्षा एवं 30 अंक का सीआईए होना है। बाकी तीन पत्रों स्कील एन्हांसमेंट (एसईसी), वेल्यू एडेड (भीएसी) एवं एब्लिटी एन्हांसमेंट कोर्स (एईसी) की परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रकार की होगी, जो ओएमआर सीट पर होगी।

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उन्होंने बताया कि सीबीसीएस के अंतर्गत चार वर्षीय कोर्स 8 सेमेस्टर का है और इसके लिए 160 क्रेडिट तय किया गया है। प्रत्येक सेमेस्टर 20 क्रेडिट का होगा। छात्रों को अंतिम वर्ष के सातवें सेमेस्टर में पहुंचने तक 7.5 सीजीपीए प्राप्त करना होगा।

उन्होंने बताया कि सीबीसीएस सिस्टम में विद्यार्थियों को प्रत्येक छ: माह पर मुख्य परीक्षा देनी होगी। एक वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद सर्टिफिकेट और दो वर्ष बाद डिप्लोमा और तीन वर्षीय कोर्स करने के बाद डिग्री मिल जाएगी। चौथे वर्ष में पढ़ना अनिवार्य नहीं है। तीन वर्षीय स्नातक करने वालों के लिए पीजी दो वर्ष का होगा। चार वर्षीय कोर्स करने वालों के लिए पीजी एक वर्ष का ही होगा और उन्हें रिसर्च का भी मौका मिलेगा।

प्रधानाचार्य डॉ. कैलाश प्रसाद यादव ने बताया कि कार्यशाला में विशेष रूप से राजभवन द्वारा जारी चार वर्षीय स्नातक (सीबीसीएस) पाठ्यक्रम और परीक्षा कैलेण्डर की जानकारी दी गई। यह कार्यशाला प्रधानाचार्यों की बैठक में‌ कुलपति द्वारा दिए गए आदेश के आलोक में आयोजित की गई।  कार्यक्रम का संचालन उपकुलकचिव स्थापना डॉ. सुधांशु शेखर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कुलानुशासक डॉ. बी. एन. विवेका ने की।

कार्यशाला के दौरान सर्वप्रथम संस्थापक कीर्ति नारायण मंडल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। अतिथियों का अंगवस्त्रम् से स्वागत किया गया। बी. एड. विभाग की नेहा एवं उनके साथियों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। शिक्षकों ने कई प्रश्न भी पूछे।

इस अवसर पर डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, डॉ. ए. के. मलिक, डॉ. पंकज कुमार ,  डॉ. विजेंद्र प्रसाद यादव, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. शंकर कुमार मिश्रा, डॉ. मिथिलेश कुमार, डॉ. खुशबू शुक्ला, डॉ. यासमीन रशीदी, डॉ. विजय कुमारी, डॉ. अमिताभ कुमार, डॉ जावेद अहमद , डॉ. कुमार सौरभ, अमित कुमार, डॉ.ललन कुमार, नदीम अहमद अंसारी, डॉ. आशुतोष झा, डॉ. अनीश कुमार, डॉ. कुंदन कुमार सिंह, डॉ. विकास आनंद, डॉ. सुप्रीत कुमारी, डॉ. छोटेलाल,  आदि उपस्थित थे।

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