• Desh Duniya
  • गम्हरिया के इस मंदिर में हिन्दू – मुस्लिम साथ मिल करते है पुर्जा – अर्चना

    राजीव कुमार/गम्हरिया मधेपुरा/ गम्हरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित हाट परिसर के बगल में अवस्थित दुर्गा स्थान की स्थापना सन 1930 ईस्वी में तत्कालीन जमींदार बाबू नागेंद्र नारायण सिंह एवं बाबू शिवेंद्र नारायण सिंह के द्वारा की गई थी। स्थापना काल से लेकर आज तक उनके वंशजों के द्वारा पूर्ण विधि-विधान से हर वर्ष दुर्गा पूजा मनाया


    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement

    राजीव कुमार/गम्हरिया मधेपुरा/ गम्हरिया प्रखंड मुख्यालय स्थित हाट परिसर के बगल में अवस्थित दुर्गा स्थान की स्थापना सन 1930 ईस्वी में तत्कालीन जमींदार बाबू नागेंद्र नारायण सिंह एवं बाबू शिवेंद्र नारायण सिंह के द्वारा की गई थी। स्थापना काल से लेकर आज तक उनके वंशजों के द्वारा पूर्ण विधि-विधान से हर वर्ष दुर्गा पूजा मनाया जाता है। पूजा का कार्य उनके वंशज के द्वारा ही पंडितों एवं परिचालकों के सहयोग से करने की परंपरा आ रही है।

    यहां पहले भैंसा बलि दी जाती थी जबकि बाद में इसे बंद कर सिर्फ छाग बलि की प्रथा कायम रखी गई है ।जमींदार के बंशज सरपंच अनिल कुमार सिंह ने बताया कि अष्टमी मध्यरात्रि के उपरांत निशा पूजा बड़ा ही हर्षक होता है। इस तिथि को मां भगवती स्वयं को शमशान वासिनी बना लेती है जो साधकों को मजबूत बना देती है। महानवमी को माता के त्रिशूल वासनी स्वरूप की पूजा यहां हर्षोल्लास के साथ की जाती है। इस दुर्गा स्थान में उर्जा का संवहन ड्योढ़ी स्थित महारानी जीवछ के मंदिर में प्रज्वलित की युगल अखंड दीप से होता है जो 10 दिनों तक जलता रहता है ।

    मुख्य आचार्य गणेश पंडित और शिवशंकर झा एवं ललित झा के सहयोग से पूजन, हवन, दुर्गा पाठ, आरती आदि संपन्न कराया जाता है। जीवछ मंदिर के परिचालक मोहन यादव व दुर्गा मंदिर के परिचालक अघोरी यादव, विरेंद्र शर्मा, गुलो यादव, बिंदेश्वरी शर्मा एवं अन्य भी पूर्ण श्रद्धा भाव से अपना कर्तव्य निभाते हैं। दुर्गा पूजा के 10 दिनों तक मंदिर में श्रद्धालु माताओं बहनों का तांता लगा रहता है. मंदिर प्रांगण की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से की जाती है। इस दौरान व्यवस्था को बनाए रखने में स्थानीय प्रशासन भी पूर्ण योगदान देते हैं ।

    श्रद्धालुओं के विश्राम के लिए शेड और पीने के लिए स्वच्छ जल की व्यवस्था मंदिर कमेटी के द्वारा की जाती है। माता की पूजा में किसी प्रकार का चंदा नहीं लिया जाता है। पूजा का पूरा खर्च ड्योढ़ी परिवार के द्वारा वहन किया जाता है .दशमी को अपराजिता पूजा के उपरांत स्थानीय लोगों के सहयोग से सादगी पूर्ण तरीके से प्रतिमा का विसर्जन होता है ।इस अवसर पर भव्य मेले का आयोजन भी होता है जिसमें बड़ी संख्या में आसपास के लोग जमा होते हैं .सबसे खास बात यह है कि हिंदू तथा मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ मिलकर इस महान देवी यज्ञ में शामिल होते हैं। प्रखंड मुख्यालय का यह माता दरबार सर्व सिद्धि और कामनाओं को पूर्ण करने वाला है

    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement

    प्रतिमाह ₹.199/ - सहयोग कर कोसी टाइम्स को आजद रखिये. हम आजाद है तो आवाज भी बुलंद और आजाद रहेगी . सारथी बनिए और हमें रफ़्तार दीजिए। सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

    Support us

    Prashant Kumar Avatar
    इस खबर पर आपकी कोई शिकायत या सुझाव हो तो हम तक अपनी बात पहुंचाये । मेल करें [email protected].
    Your Insights Matter - Let's Discuss This Together