द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली, बोलीं- भारत में गरीब भी सपने देख सकता है
नई दिल्ली/हरे लाल बॉर्डर वाली सफेद रंग की संथाली साड़ी। पैरों में चप्पल और विनम्र मुस्कान। कुछ यूं ही शपथ समारोह में नजर आईं देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू।द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने उन्हें शपथ दिलाई। बता दें कि मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं, सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने वाली पहली आदिवासी महिला और स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं।राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ट्राई सर्विस गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई।
मुर्मू आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली और शीर्ष पद पर काबिज होने वाली सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति होंगी। वह राष्ट्रपति बनने वाली दूसरी महिला भी हैं। मुर्मू (64) ने विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया। मुर्मू ने निर्वाचक मंडल सहित सांसदों और विधायकों के 64 प्रतिशत से अधिक वैध वोट लेकर जीत दर्ज की। मुर्मू को सिन्हा के 3 लाख 80 हजार 177 वोटों के मुकाबले 6 लाख 76 हजार 803 वोट मिले थे।
इस दौरान निवर्तमान रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर देश के कई बड़े नेता, कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री मौजूद रहे। नई राष्ट्रपति के शपथ समारोह की कई तस्वीरें तेजी से वायरल हो रहीं हैं। लोग राष्ट्रपति की सरलता और मुस्कान की तारीफ कर रहे हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैंने ओडिशा के गांव से जीवन यात्रा शुरू की है। ये पद मेरी उपलब्धि नहीं, बल्कि देश के गरीबों की उपलब्धि है। लोकतंत्र की शक्ति से यहां पहुंची हूं। मैं गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। मेरे लिए जनता का हित सर्वोपरि है।”मैं जिस जगह से आती हूं, वहां प्रारंभिक शिक्षा भी सपना होता है। गरीब, पिछड़े मुझे अपना प्रतिबिंब दिखाते हैं। मैं भारत के युवाओं और महिलाओं को विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर काम करते हुए उनका हित मेरे लिए सर्वोपरि रहेगा।
संसद में मेरी मौजूदगी भारतीयों की आशाओं और अधिकारों का प्रतीक है। मैं सभी के प्रति आभार व्यक्त करती हूं। आपका भरोसा और समर्थन मुझे नई जिम्मेदारी संभालने का बल दे रहा है।
मैं पहली ऐसी राष्ट्रपति हूं जो आजाद भारत में जन्मी। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतीयों से जो उम्मीदें लगाई थीं, उन्हें पूरा करने का मैं पूरा प्रयास करूंगी।
राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना मेरी निजी उपलब्धि नहीं है, यह देश के सभी गरीबों की उपलब्धि है। मेरा नॉमिनेशन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब न केवल सपने देख सकता है, बल्कि उन सपनों को पूरा भी कर सकता है।’
‘सभी भारतीयों की अपेक्षाओं, आकांक्षाओं और अधिकारों के प्रतीक – संसद में खड़े होकर मैं आप सभी का नम्रतापूर्वक आभार व्यक्त करती हूं। इस नई जिम्मेदारी को निभाने के लिए आपका विश्वास और समर्थन मेरे लिए एक बड़ी ताकत होगी।’
शपथ ग्रहण के दौरान मौजूद रहे राज्यपाल
राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के दौरान केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान, यूपी की गवर्नर आनंदीबेन पटेल, उत्तराखंड के गवर्नर लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (रिटेड), तेलंगाना गवर्नर और पुडचेरी एलजी डॉ. तमिलिसई साउंडराजन और गोवा गवर्नर पीएस श्रीधराई उपस्थित रहे।
द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज के आदिवासी गांव उबरबेड़ा में हुआ था। इन्होंने यहां के कुसुमी तहसील के छोटे से गांव उपरबेड़ा के साधारण से स्कूल से पढ़ाई की।इसके बाद उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इतना ही नहीं, द्रौपदी मुर्मू सिंचाई और बिजली विभाग में क्लर्क के पद पर भी काम कर चुकी हैं।
ऐसे हुई राजनीतिक करियर की शुरुआत
मुर्मू ने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत से पार्षद के रूप मे अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की।इसके बाद वह धीरे-धीरे आगे बढ़ती चली गईं।पार्षद के बाद वह रायरंगपुर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की उपाध्यक्ष बनीं।इसके बाद 2013 में वह पार्टी के एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारी की सदस्य बनाई गईं।द्रौपदी मुर्मू महिलाओं के साथ-साथ देश की कुल आबादी के 8 फीसदी से भी ज्यादा आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करती हैं। द्रौपदी मु्र्मू संथाल जनजाति से ताल्लुक रखती हैं।
2007 में मिला था सर्वश्रेष्ठ विधायक का सम्मान
बता दें, आदिवासियों में गोंड और भील के बाद संथाल जनजाति की आबादी सबसे ज्यादा है। ऐसे में द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से पहली राष्ट्रपति बनी हैं।2007 में द्रौपदी मुर्मू को ओडिशा विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक का भी सम्मान मिला।