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क्लाइमेट चेंज एंड इमरजेंसी प्रीपेयर्डनेस एंड रेस्पॉन्स विषय पर प्रशिक्षण का हुआ आयोजन

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मधेपुरा/ नेहरू युवा केन्द्र मधेपुरा और यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को बीएनएमयू के नॉर्थ कैम्पस में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डीआआर, क्लाइमेट चेंज एंड इमरजेंसी प्रीपेयर्डनेस एंड रेस्पॉन्स विषय पर आयोजित प्रशिक्षण में जिले भर के विभिन्न प्रखंडों के 35 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन बीएनएमयू के आइक्यूएसी निदेशक डॉ. नरेश कुमार, नेहरू युवा केंद्र के जिला युवा अधिकारी हुस्न जहां, विश्वविद्यालय के विकास पदाधिकारी डॉ. ललन प्रसाद अद्री, बॉटनी के एचओडी डॉ. रमेश कुमार, सीनेटर रंजन यादव आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

मुख्य अतिथि डॉ. नरेश कुमार ने अपने संबोधन ने कहा कि किसी क्षेत्र विशेष की परंपरागत जलवायु में समय के साथ होने वाले बदलाव को जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। जलवायु में आने वाले परिवर्तन के प्रभाव को एक सीमित क्षेत्र में अनुभव किया जा सकता है और पूरी दुनिया में भी। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की स्थिति गंभीर दिशा में पहुंच रही है और पूरे विश्व में इसका असर देखने को मिल रहा है। जलवायु परिवर्तन का पर्यावरण के सभी पहलुओं के साथ-साथ वैश्विक आबादी के स्वास्थ्य और कल्याण पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण भी धरती के तापमान में लगातर बढ़ोतरी हो रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही नेहरू युवा केंद्र की जिला युवा अधिकारी हुस्न जहां ने कहा कि नेहरू युवा केंद्र और युनिसेफ की ओर आपदा और जलवायु परिवर्तन पर प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद युवा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आपदा और जलावयु परिवर्तन को लेकर जागरूक करेंगे।

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अत्यधिक मात्रा में प्राकृति संसाधनों का हो रहा दाेहन : बॉटनी विभागाध्यक्ष डॉ. रमेश कुमार ने कहा कि मानव के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के दाेहन के कारण पर्यावरण पर खतरा मंडरा रहा है। विश्वविद्यालय के विकास पदाधिकारी डॉ. ललन प्रसाद अद्री ने कहा कि लोगों के आधुनिक जीवनशैली के कारण पर्यावरण पर काफी असर पड़ रहा है। जिसके कारण वर्तमान समय में विभिन्न तरह के आपदाओं में भी काफी इजाफा हुआ है।

विषय विशेषज्ञ के रूप में विचार व्यक्त करते हुए पीजी भूगोल विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमित विश्वकर्मा ने कहा कि नए युग की तकनीकों का प्रयोग पृथ्वी पर कार्बन उत्सर्जन के दर को बढ़ा रहा है और इस प्रकार वतावरण को विपरीत रूप से प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है। प्राकृतिक कारकों के अलावा, मानव गतिविधियों ने भी इस परिवर्तन में प्रमुख योगदान दिया है। मनुष्य प्राकृतिक कारणों को तो नियंत्रित नहीं कर सकता लेकिन वह कम से कम यह तो सुनिश्चित जरूर कर सकता है वह वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली अपनी गतिविधियों को नियंत्रण में रखे ताकि धरती पर सामंजस्य बनाया रखा जा सके।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं अजेय हैं। हम उन्हें होने से नहीं रोक सकते। भले ही हमारे पास आपदाओं की भविष्यवाणी करने की सारी तकनीक हो। आने वाली आपदाओं से बचने के लिए हम जो सबसे अच्छी चीज कर सकते हैं वह उन प्रथाओं से बचना है जो पर्यावरणीय गिरावट की ओर ले जा सकती हैं। आपदाओं से बड़े पैमाने पर विनाश होता है, जीवन की हानि होती है, लोगों का विस्थापन होता है। हम लोगों को बचाव और राहत प्रदान करके बढ़ती स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं। 

प्रतिभागियों के बीच प्रमाण-पत्र का किया गया वितरण :प्रशिक्षण के दूसरे सत्र में प्रतिभागियों के बीच ग्रुप डिस्कशन कराया गया। जिसमें प्रतिभागियों ने कार्ड बोर्ड पर अपने क्षेत्र में होने वाली प्राकृतिक अापदा, उससे होने वाले नुकसान व बचाव के बारे में बताया। कार्यक्रम में अंत में सभी 35 प्रतिभागियों के बीच प्रमाण-पत्र का वितरण किया गया। मंच संचालन बीएनएमयू के सीनेट सदस्य रंजन यादव ने किया।

इस अवसर पर बॉटनी विभाग के वरीय प्राध्यापक डॉ. अबुल फजल, डॉ. बीबी मिश्रा, एनवाईवी नीतीश कुमार, बिपीन कुमार, बबलू ब्रजेश, सौरभ कुमार, बाबू साहब कुमार, बालाजी सुमन, नीलू कुमारी, कोमल कुमारी, ऋषभ रंजन, मंदीप कुमार, संतोष कुमार, मो. इरशाद आलम, आनंद कुमार, चंदन कुमार, मनीष कुमार सहित सभी प्रतिभागी मौजूद थे।

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