मनुष्य के दुख का कारण उसका कर्म होता है – स्वामी यादवेन्द्रानंद जी महाराज

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित पांच दिवसीय श्रीरामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ का आज तीसरा दिन

राजीव कुमार@गम्हरिया,मधेपुरा

गम्हरिया बाजार स्थित अनीता पैलेस प्रांगण में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा चल रहे पांच दिवसीय रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ के आज तीसरे दिन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी यादवेन्द्रानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहा की मनुष्य के दुख का कारण उसका कर्म और वचन होता है। जो जैसा करता है वैसा ही पाता भी है ।
तुलसी बाबा लिखते है कि काहू न कोई सुख दुख कर दाता निज कृत कर्म भुगहूं सब भ्राता । कोई किसी को सुख नही दे सकता कोई किसी को दुख नही देता है प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने कर्मो का ही फल पाता है ।भगवान श्री कृष्ण भी कहते है कि
न हि कशिचत्क्षणमपि जातु तिष्ठ्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः।।गीता 3.5।।
अर्थार्त कोई भी पुरुष कभी भी बिना कर्म किए नहीं रह सकता है क्योंकि प्रकृति से संपत्ति के गुणों के अनुसार सभी (पुरुषों) से कर्म करवा लिया जाता है। औऱ हर कर्म बंधन का कारण है इसलिए हे पार्थ मुझसे युक्त हो कर कर्म करो जिससे तुम किसी बंधन में नही बाँधोगे ।
कवीर साहव भी कहते है कि कर्म कर्म सब कहे कर्म न चिन्हें कोई जिस कर्म से भाव बंधन कटे कर्म कहावे सोय और वह एक मात्र कर्म है ईश्वर का दर्शन करना क्योंकि जब तक हम ईश्वर का दर्शन नही करते है तब तक उनसे युक्त कैसे हो पाएंगे। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान आप सब को आह्वान करता है कि आइये ईश्वर दर्शन का विषय है गुरुदेव की कृपा से हमने देखा है आप भी देख सकते है।

प्रवचन के दौरान सर्व श्री आशुतोष जी महाराज के शिष्य स्वामी कुन्दनानंद जी , ललित कुमार,संबोध साह, नरेंद्र साह, संतोष यादव, नरसिंह मंडल, विनोद यादव सहित अन्य शिष्यों ने प्रवचन में आने वाले अनुयायियों की सेवा में तत्पर दिखे इस दौरान सैकड़ों की संख्या में महिलाएं पुरुष बुजुर्ग बच्चे प्रवचन में पहुंचकर प्रवचन सुना और भगवान का अनुसरण किया।

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