मधेपुरा : लक्ष्मीनियाँ में एक दिवसीय संतमत सत्संग समारोह सह भागवत कथा का आयोजन

👉🏻संतश्री बबलू दास जी महाराज ने कहा संसार दु:खों का सागर है। प्रत्येक प्राणी किसी न किसी तरह से दुखी व परेशान है 👉🏻साहित्यकार सह युवा समाजसेवी संजय कुमार सुमन ने कहा कि लोग सच्चाई के रास्ते पर चलने के लिए सत्संग में सीखते हैं।

चौसा,मधेपुरा/चौसा प्रखंड अंतर्गत चौसा पूर्वी पंचायत के लक्ष्मीनियाँ टोला में बीते दिन सोमवार को एक दिवसीय संतमत सत्संग समारोह सह भागवत कथा का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में उपस्थित श्रधेय संत श्री बबलू दास जी महाराज को थानाध्यक्ष किशोर कुमार, सहायक अवर निरीक्षक प्रदीप कुमार,शिक्षक सुबोध कुमार पासवान,कुमार साजन द्वारा संतो को माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया।

श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संतश्री बबलू दास जी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के वाचन व श्रवण से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ती हो जाती है। संसार दु:खों का सागर है। प्रत्येक प्राणी किसी न किसी तरह से दुखी व परेशान है। कोई स्वास्थ्य से दुखी है, कोई परिवार, कोई धन, तो कोई संतान को लेकर परेशान है। सभी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए ईश्वर की आराधना ही एकमात्र मार्ग है। इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन का कुछ समय हरिभजन में लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भागवत कथा वह अमृत है, जिसके पान से भय, भूख, रोग व संताप सब कुछ स्वत: ही नष्ट हो जाता है। उन्होंने  सत्संग की महिमा बताते हुए कहा कि सत्संग में आने वाले ही परमात्मा के कृपापात्र बनते हैं। सत्संग से ही जीव को वह ज्ञान प्राप्त होता है जिससे इस संसार के दुखों से छूट कर अंनत सुख को प्राप्त कर सकते हैं। सत्संग-भजन करने वाले को जन्म मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसके लिए सच्चे सदगुरू की शरण मे जा कर उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। सच्चे सदगुरू परमात्मा से मिला देने वाले होते हैं।वही सत्संग में नागेश्वर दास,बाबानंद दास, प्रमोद दास, बोध नारायण दास, मुकेश दास, सहित अन्य संतो ने अपनी वाणी रखी ।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए साहित्यकार सह युवा समाजसेवी संजय कुमार सुमन ने कहा कि लोग सच्चाई के रास्ते पर चलने के लिए सत्संग में सीखते हैं। इसलिए सत्संग का आयोजन मानव समाज को मानवता का पाठ भी समय-समय पर पढ़ाता है। हमें अपने घरों में इस तरह का वातावरण रखना चाहिए जिसमें बच्चे संस्कारित हो। बचपन से ही जब हम बच्चों को सत्संग से जोड़ते हैं तो उनके अंदर अच्छे संस्कार आते हैं और फिर वह भटकते नहीं है। भक्ति और सत्संग की कोई उम्र नहीं होती यह तो हर उम्र के लोगों को करनी चाहिए।

सत्संग के बाद प्रसाद का वितरण किया गया। प्रसाद ग्रहण करने के बाद श्रद्धालुओं ने संतो का आशीर्वाद प्राप्त किया। आयोजन को सफल बनाने में अरूण रजक एतवारी मंंडल,योगेंद्र मंडल, जामुन मंडल, जियालाल मंडल, वार्ड सदस्य साजन कुमार, बशिष्ट मंडल, ज्योतिष मंडल, मनीष कुमार, पंकज राज,सुरेश मंडल सहित गांव के सभी लोगों ने सक्रिय योगदान दिया।

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