मधेपुरा/ मुरलीगंज के पी कॉलेज के प्रधानाचार्य सह बीएनएमयू सीनेट व सिंडिकेट सदस्य डॉ. जवाहर पासवान को डॉ. बीआर अंबेडकर राष्ट्रीय सम्मान पदक 2022 से नवाजा गया है। उन्हें यह पुरस्कार बीते दिन नई दिल्ली के राजेंद्र भवन में पूर्व पीएम स्व. बाबू जगजीवन राम की जयंती पर आयोजित आयोजित 52 वें राष्ट्रीय विजय दिवस सम्मेलन में दिया गया।
इस पुरस्कार के लिए बाबू जग जीवनराम कला संस्कृति एवं साहित्य अकादमी ने डॉ. पासवान का चयन किया था। डॉ. पासवान को यह पुरस्कार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने प्रदान किया। उन्हें यह पुरस्कार दलितों की उत्थान के लिये उनके द्वारा की जा रही सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों के लिये दिया गया है।
डॉ. जवाहर पासवान को दलित साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पहले भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं। भारतीय दलित साहित्य अकादमी, दिल्ली द्वारा डा. पासवान को 2011 में भगवान बुद्ध राष्ट्रीय पुरस्कार और 2012 में भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा ही डॉ. अंबेदकर राष्ट्रीय सेवा सम्मान पुरस्कार एवं 2020 में डा.अंवेडकर से सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. पासवान भारतीय दलित साहित्य अकादमी, दिल्ली के कोशी प्रमंडलीय अध्यक्ष भी हैं।
दलित साहित्य से संबंधित उनकी सात पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। इसमें भारत के दलित आंदोलन में बिहार की भूमिका, पिछड़ी जातियों का राजनीतिक अभिजन, भारतीय स्वशासन में पंचायती राज व्यवस्था, भारतीय राजनीति में नैतिक लोकतंत्र की तलाश, भूमंडलीकरण में भारतीय राजनीति का महत्व, डॉ. लोहिया का समाज दर्शन : समकालीन राजनीतिक परिप्रेक्ष्य एवं अस्मिता संकट और दलित विमर्श नामक पुस्तक शामिल हैं। विभिन्न शोध पत्रिकाओं और पत्र-पत्रिकाओं में 90 से अधिक आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावे डॉ. पासवान ने एससीएसटी कानून बदलाव के विरुद्ध मधेपुरा में आन्दोलन का नेतृत्व किया था। सीएए, एनआरसी के विरुद्ध मधेपुरा में नेतृत्व और ओबीसी आरक्षण में छेड़छाड़ के विरुद्ध आन्दोलन की सहभागिता में प्रमुख भागीदारी रही। वह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सदस्य और राजकीय अम्बेडकर कल्याण छात्रावास के अधीक्षक भी हैं।