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पीएम मोदी के बिहार दौरे पर PK का बड़ा हमला — 1.25 लाख करोड़ के पैकेज पर जवाब मांगते हुए उठाया सवाल: भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज के मालिक कैसे बन गए?

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पटना। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और सियासी सरगर्मी तेज हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 जून को प्रस्तावित बिहार दौरे से पहले जन सुराज के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने बड़ा हमला बोला है।

PK ने तंज कसते हुए कहा कि सवाल यह नहीं है कि प्रधानमंत्री बिहार आ रहे हैं, बल्कि यह है कि वह आखिर क्यों आ रहे हैं। उनका साफ आरोप है कि पीएम का दौरा पूरी तरह चुनावी मकसद से हो रहा है।

1.25 लाख करोड़ के पैकेज का क्या हुआ?
PK ने प्रधानमंत्री से पहला बड़ा सवाल 2015 के उस विशेष पैकेज को लेकर किया, जिसका ऐलान आरा से किया गया था। उन्होंने कहा —
“1.25 लाख करोड़ रुपये के उस बड़े-बड़े वादों वाले पैकेज का क्या हुआ? बिहार में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग — किन किन क्षेत्रों में इस पैकेज से आज तक कोई क्रांतिकारी बदलाव आया? बिहार के लोगों के साथ उस वादे का क्या हुआ?”

भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल की संपत्ति का सवाल
दूसरा सवाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को लेकर था। PK ने कहा —
“जो कभी सीमांचल के एक सिख अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज में क्लर्क थे, आज उस कॉलेज के मालिक कैसे बन गए? यह संपत्ति कहां से आई? भाजपा कहती है वो भ्रष्टाचार मुक्त शासन चलाती है, तो इस पर जवाब क्यों नहीं?”

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PK का जन सुराज अभियान — बिहार में असर
गौरतलब है कि PK का जन सुराज अभियान बीते दो वर्षों में बिहार के कई जिलों में सक्रिय रहा है। PK लगातार गांव-गांव में पदयात्रा करते हुए जनता के बीच पहुंच रहे हैं।
जन सुराज का नारा है — “नीतियों की नहीं, नीति बनाने वालों की बदली चाहिए।”
बिहार में PK की सक्रियता ने पारंपरिक राजनीतिक दलों को चिंता में डाल दिया है, खासकर युवाओं और पढ़े-लिखे तबके में PK के अभियान को अच्छा समर्थन मिल रहा है।

युवाओं में PK के “साफ सुथरी राजनीति” के वादे को लेकर सकारात्मक लहर है। अब सवाल यह है कि क्या PK इस समर्थन को वोट में बदल पाएंगे या नहीं।

नीतीश कुमार और JDU की वर्तमान स्थिति
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU फिलहाल NDA के साथ है। लेकिन बीते वर्ष जिस तरह से नीतीश ने एक बार फिर पाला बदलकर NDA में वापसी की, उससे उनकी छवि पर असर पड़ा है।
नीतीश कुमार का मुख्य आधार रहा है विकास और सुशासन का चेहरा। लेकिन हाल के वर्षों में उनकी पकड़ ग्रामीण और शहरी मतदाताओं पर कुछ कमजोर पड़ी है।
इसके अलावा JDU के अंदरूनी गुटबाजी और कई पुराने नेताओं के असंतोष ने पार्टी संगठन को कमजोर किया है। नीतीश कुमार के सामने भाजपा की बढ़ती ताकत, PK का अभियान, और महागठबंधन के पुराने साथियों का फिर से समीकरण बनाना — इन सबने सियासी चुनौती खड़ी कर दी है।

सीमांचल का समीकरण
सीमांचल के इलाके में सिख और मुस्लिम अल्पसंख्यकों की मजबूत उपस्थिति है। PK के इस बयान से भाजपा को इस इलाके में नुकसान हो सकता है। वहीं JDU भी सीमांचल में अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रही है। PK के लगातार सीमांचल में सभाओं और यात्राओं से इन इलाकों में नया राजनीतिक ध्रुवीकरण भी दिख रहा है।

अब नजरें पीएम के दौरे पर
अब पूरे बिहार की नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 20 जून के दौरे पर टिक गई हैं। क्या पीएम मोदी PK के इन तीखे सवालों का कोई जवाब देंगे या इन मुद्दों को दरकिनार करेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। चुनाव के ठीक पहले PK का यह हमला भाजपा और JDU दोनों के लिए असहज करने वाला साबित हो सकता है।

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