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सावन की दुसरी सोमवारी में तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

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सिंहेश्वर,मधेपुरा/ देवाधिदेव महादेव की नगरी सिंहेश्वर धाम में दुसरी सोमवारी को तीन लाख से अधिक भक्तों ने बाबा का जलाभिषेक किया. श्रद्धालुओं का रविवार रात से ही छोटे एवं बड़े गाड़ियां भर- भर कर बाबा नगरी आने का सिलसिला दिन भर चलता रहा. हालांकि सभी भक्तों को बेरियर से पैदल ही मंदिर आना पड़ा. रविवार रात को ही भक्तों लंबी कतार व भीड़ ज्यादा होता देख मंदिर प्रशासन ने रात एक बजे ही बाबा का पट एसडीओ सह सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति सचिव संतोष कुमार, एएसपी प्रवेंद्र भारती, एसडीसी सह प्रबंधक संतोष कुमार, डीएसपी मुख्यालय, ट्रेफिक डीएसपी, न्यास सदस्य संजीव ठाकुर उर्फ मुन्ना पुजारी कन्हैया बाबा, लाल बाबा, कैलाश ठाकुर, काशी ठाकुर आदि के मौजुदगी में खोल दिया गया. हालांकि सबसे पहले सरकारी पुजा की गयी और फिर डेढ़ बजे से श्रद्धालुओं का हुजुम बाबा की पुजा में लीन हो गया.

मंदिर परिसर का माहौल ऐसा हो गया कि बाबा का पट खुलने से पूर्व व पट खुलने के बाद बोल बम व हर हर महादेव की ध्वनि से पूरा मंदिर परिसर गुंज उठा. जिस वजह से बाबा मंदिर परिसर सहित पुरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया. दुर- दराज व कई स्थानीय श्रद्धालु बाबा मंदिर पहुंचने के साथ ही शिवगंगा पर लगे झरने में स्नान कर पुजा- अर्चना करने में जुटे रहे. जबकि कई श्रद्धालुओं द्वारा स्थानीय पुजारी द्वारा जल फुल का संकल्प करा कर पुजा अर्चना की गई. जब से बाबा का पट खुला तब से लगातार भिड़ कमने का नाम ही ले रहा था. सुबह लगभग पांच बजे तक करीब एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु पूजा कर चुके थे.

नारियल विकास बोर्ड बेरियर तक पहुंचा श्रद्धालुओं का कतार-
महादेव के पूजा को आतुर श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी ज्यादा हुई की भक्तों का कतार इतिहास में पहली बार नारियल विकास बोर्ड के पास स्थित बेरियर तक चली गई. स्थिति को देखते हुए एसडीओ और एसपी के मौजूदगी में सुबह सात बजे जब भीड़ की स्थिति को बढ़ता देख महिला कतार को खाली करवाकर महिला कतार से भी पुरुष श्रद्धालु को भेजना शुरू किया गया. लगभग डेढ़ घंटे तक श्रद्धालुओं का रैला चलता रहा. तब लगभग साढ़े आठ बजे भीड़ में कमी आई. हालांकि इस बीच महिला श्रद्धालु को साइड के गेट से बीच- बीच में प्रवेश कराया गया. जिसके बाद स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में रहा. वहीं स्थानीय युवक व प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रही.

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माईकिंग होने के बावजुद नही संभल रहे है श्रद्धालु—
देवाधिदेव की नगरी में पुजा- अर्चना करने के लिये काफी दुर- दुर से श्रद्धालुओं का जत्था दिन भर पहुंचता रहा. किसी भी श्रद्धालु के साथ किसी प्रकार की अनहोनी का शिकार न होना पड़े इसके लिये लगातार माइकिंग किया जाता रहा. माइकिंग में किसी भी प्रकार के आभुषण पहन कर गर्भ गृह में नही जाने की हिदायत दी जा रही थी. जबकि खोये हुये बच्चों के साथ स्नेह बनाते हुये पुलिस को सुचना देने की बात कही जा रही थी. बावजुद इसके कई श्रद्वालु इस बात को मानने से इंकार कर देते है. लिहाजा श्रद्धालुओं का सामान चोरी होने के साथ- साथ गुम भी हो जाता है. कई महिलाओं ने शिकायत किया कि उनका पर्स, सोने के गहने चोरी हो गया. श्रद्धालु अगर इस बात को मानकर अपने सामान किसी सुरक्षित जगह पर रख दे तो ऐसा नुकशान नही उठाना पड़ेगा. इस बीच दर्जनों बच्चें अपने परिजन से भी बिछड़ते रहे हालांकि स्थानीय युवक सहित पुलिस बल के सहयोग से सभी को परिजनों से मिलवा दिया गया.

पुरे क्षेत्र में तैनात रहे अधिकारी–
देवाधिदेव महादेव की नगरी व मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिये जिले के आलाधिकारी सहित कई पदाधिकारी लगातार निगरानी बनाये हुये थे. पुरे क्षेत्र में अलग- अलग जगहों पर तैनात पुलिस बल के साथ एक दण्डाधिकारी व एक पुलिस पदाधिकारी को तैनात किया गया था. वहीं मंदिर परिसर में भी दर्जनों अधिकारी सहित जिले के वरीय पदाधिकारी लगातार नजर बनाये हुये थे. मंदिर परिसर किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो इसके लिये सीसीटीवी कैमरे से निगरानी नियंत्रण न्यास के नियंत्रण कक्ष में लगे मॉनिटर से किया जा रहा था. मंदिर परिसर में पर्याप्त महिला व पुरूष पुलिस बल को तैनात किया गया था. वहीं एएसपी प्रवेंद्र भारती रात बारह बजे से ही मंदिर परिसर पहुंच विधि व्यवस्था को कायम रखा.


—– मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से पटा रहा—-
सावन की दुसरी सोमवारी होने के कारण पुरा मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से पूरी तरह से भरा रहा. स्थानीय श्रद्धालुओं ने भी इस सोमवारी में काफी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज की. वहीं न्यास के द्वारा बताया गया कि दुसरी सोमवारी में आशा के विपरित काफी भीड़ हुई है. जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि अगली सोमवारी को श्रद्धालुओं की संख्या साढ़े तीन लाख के पार हो जायेगी. वहीं सावन की पहले सोमवारी के बाद दुसरे सोमवारी को भी पड़ोसी देश नेपाल सहित सुपौल, अररिया, सहरसा, मधेपुरा, पुर्णिया, खगड़िया, सिमराही आदि जगहों के श्रद्धालु काफी संख्या में पुजा के लिये सिंहेश्वर पहुंचे. वहीं दर्जनों श्रद्धालुओं का ऐसा जत्था मंदिर आया जो लगभग पचास की संख्या में नाचते हुये बाबा मंदिर पहुंच पुजा अर्चना किया.

—–हजारों श्रद्धालुओं ने दिया दण्ड प्रणाम—-
वैसे तो बाबा मंदिर में दण्डप्रणाम देने वाले श्रद्धालु सालों भर पहुंचते रहते है. लेकिन सावन माह में दण्ड प्रणाम देने वाले श्रद्धालु की संख्या काफी ज्यादा होती है. सावन का पहले सोमवार के अपेक्षा दुसरी सोमवारी को हजारों महिला, पुरूष सहित बच्चों ने शिवगंगा पर लगे झड़ने व शिवगंगा में स्नान कर शिवगंगा से बाबा के गर्भ गृह गेट तक दण्डप्रणाम करते हुये गये और बाबा को प्रणाम किया. और फिर पुजा- अर्चना की. कई ऐसे भी श्रद्धालु थे जो विकलांग होने के बावजुद दण्ड प्रणाम दे रहे थे. जबकि परोसी देश नेपाल के श्रद्धालुओं के द्वारा भी दण्डप्रणाम दिया गया.
—-फुलों की दुकान पर श्रद्धालुओं का जमघट—-
मंदिर परिसर में फुल का व्यापार करने वालों को सावन की दुसरी सोमवारी को सांस लेने की भी फुरसत नही हुयी. क्योंकि इस सोमवारी को आशा के विपरित भीड़ हुयी. लगभग सभी फुल दुकानों पर लोगों का लाइन लगा रहा. एक श्रद्धालु को फुल दिया भी नही जाता था कि दुसरा फुल देने की जिद कर देता था. ज्ञात हो कि पुरे साल में लगभग 20- 25 दिन ही ऐसे होते है जिस दिन फुल बेचने वालों के चेहरे पर मुश्कान होती है. खासकर सावन महीना आते ही दर्जनों फुल विक्रेता के चेहरे खिल जाती है कि उनका फुल का व्यवसाय अच्छा चलेगा. सावन माह में सिंहेश्वर बाबा मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है जिसे फुल विक्रेता विभिन्न प्रकार के फुल बेचकर अपना और अपने परिवार का गुजर बसर करते है. हालांकि इस वर्ष फूल दुकानदारों को घाटा भी काफी लगा है. क्योंकि इस वर्ष मंदिर में प्रवेश के लिए मात्र एक रास्ता को ही चिन्हित किया गया. जिस वजह से फूल दुकानदारों से श्रद्धालुओं द्वारा लिए गए फूल डाली और लोटा लौटाने के लिए काफी घूमकर मंदिर में आना होता है. जिस वजह से कई श्रद्धालु लोटा फूल डाली लेकर ही चले गए. जिस वजह से उन्हें घाटा हुआ है.
—-मेला नही लगने से मायूस हुए श्रद्धालु–
देवाधिदेव महादेव की पुजा- अर्चना के बाद लोगों का हुजुम मेला परिसर तक पहुंचता था. लेकिन इस वर्ष मेला का आयोजन नही होने से श्रद्धालुओं में मायूसी छाई रही. क्योंकि पूजा के बाद
जहां श्रद्धालु जमकर मेला का आनंद लेते थे. अभी मेला स्थल पर दो- चार दुकानें ही लगी है. कोरोना से पूर्व श्रद्धालुओं के लिए वृहद रूप से मेला का आयोजन किया गया था जिसमें मौत कुंआ, विभिन्न प्रकार के झुलें, जागरण शो, जादुगर, बच्चों के लिये विभिन्न प्रकार के झुले, सहित हरेक माल दुकान, महिला श्रद्धालु के लिये विभिन्न प्रकार की दुकानें लगायी गयी थी.

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