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हर वर्ग के पाठकों के दिल पर राज कर रहा है ‘साहस बोल रहा है’

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अफजल राज/पटना/ ऐसा माना जाता है कि साहित्यिक लेखन संपन्न वर्ग और संस्कृत पढ़ा-लिखा वर्ग ही कर सकता है, परंतु इस अवधारणा को चुनौती देते हुए तेजप्रताप कुमार तेजस्वी ने ‘साहस बोल रहा है’ लिखा है। उन्होंने ‘साहस बोल रहा है’ लिखकर यह साबित किया है कि साहित्यिक लेखन पर किसी का एकाधिकार नहीं है।

‘साहस बोल रहा है’ का लोकार्पण विश्व पुस्तक मेला नई दिल्ली में करने वाले साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान्, आलोचकों में आदरणीय अशोक वाजपेयी, प्रो.गोपेश्वर सिंह (पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, दिल्ली विश्वविद्यालय) , प्रो.चन्द्रदेव यादव(हिंदी विभागाध्यक्ष, जामिया मिलिया इस्लामिया ), प्रो.आशुतोष कुमार(हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो.रामेश्वर राय (हिंदी विभाग, हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो.बंदना झा ( भारतीय भाषा परिषद, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ), प्रो.श्यौराज सिंह बेचैन (पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, दिल्ली विश्वविद्यालय ), प्रो. राजेश पासवान (भारतीय भाषा परिषद, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली), प्रो. अनिल राय ( वरिष्ठ आलोचक,डीन, अधिष्ठाता, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली ), ‘मुन्नी मोबाइल’ के लेखक प्रदीप सौरभ, दलित चिंतक जयप्रकाश कर्दम, मोहनदास नैमिषराय, प्रो.रजतरानी मीनू, प्रो. नीलम, प्रो. नामदेव(किरोड़ीमल कॉलेज), भोजपुरी जनजागरण एवं प्रसिद्ध कवि-समीक्षक संतोष पटेल, प्रसिद्ध कवि रमेश प्रजापति, ‘अमर देसवा’ के लेखक एवं हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय के आचार्य प्रवीण कुमार, प्रो. कुसुमलता मलिक(वरिष्ठ नाट्य आलोचक हिंदी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) , रीतिकाल के मर्मज्ञ आलोचक पी. सी. टंडन, बनास जन के संपादक प्रो. पल्लव, फणीश्वरनाथ रेणु के सुपुत्र दक्षिणेश्वर राय, प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल (पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, बनारस ) वरिष्ठ आलोचक ज्योतिष जोशी, प्रो. महेन्द्र प्रजापति (हिंदी विभाग,आम्बेडकर विश्वविद्यालय, कश्मीरी गेट, नई दिल्ली ), प्रो. भीमसेन सिंह (पूर्व प्राचार्य किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय), वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रकिशोर जायसवाल, धर्मेन्द्र प्रताप सिंह (सहायक आचार्य,दिल्ली विश्वविद्यालय), वरिष्ठ साहित्यकार द्वारिका प्रसाद चारुमित्र, वरिष्ठ आलोचक बजरंग बिहारी तिवारी, प्रो. अभय कुमार, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के देवेंद्र कुमार देवेश, प्रसिद्ध इतिहासकार हितेंद्र पटेल आदि हैं।

साहस बोल रहा है’ हंस प्रकाशन, दरियागंज नई दिल्ली से प्रकाशित है। यह विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली 2025 की ‘हंस प्रकाशन’ की बेस्ट सैलर पुस्तक रही है। विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली 2025 में इस पुस्तक का लोकार्पण भारतीय राजनीतिज्ञ ने किया है। पुस्तक के लोकार्पण के क्रम में भारत सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री आदरणीय रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ हैं और पूर्णिया के वर्तमान सांसद आदरणीय राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव शामिल हैं, ‘प्रोफेसर की डायरी’ के लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक लक्ष्मण यादव, राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयंत जिज्ञासु, भाजपा के नेता आशुतोष तिवारी आदि शामिल हैं।

‘साहस बोल रहा है’ कि लेखक से जब मेरी बात हुई तो उन्होंने बताया कि ‘साहस बोल रहा है’ पुस्तक की लोकप्रियता का आलम यह रहा कि यह पुस्तक तीन दिन तक अनुपलब्ध हो गई, क्योंकि विश्व पुस्तक मेला कुल 9 दिनों का (1-9 फ़रवरी 2025) था।दूर दराज से पुस्तक खरीदने आये पुस्तक प्रेमी तथा लेखक दोस्त पुस्तक के अभाव में खाली हाथ लौट गये, परंतु हंस प्रकाशन के प्रबंधक हरिन्द्र तिवारी ने सबका उचित सम्मान किया और हंस प्रकाशन के विपिन ने सबका संपर्क सूत्र लेकर उन तक पुस्तक पहुँचाने का वादा किया। नितेश ने तस्वीर लेने में काफी मदद की।

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कहा जाता है कि जब एक व्यक्ति ईमानदारी और साहस के बल पर आगे बढ़ने का स्वप्न देखता है और समाज के लिए कुछ रचता है तो उसे सभी वर्ग के लोग स्नेह करते हैं और अपना प्यार देकर अपनापन का एहसास कराते हैं। तेजप्रताप कुमार तेजस्वी की पुस्तक ‘साहस बोल रहा है’ को प्रसिद्ध संगीतकार डॉ. सागर ने भी लोकार्पित किया है। डॉ. सागर ‘मुंबई में का बा’ के प्रसिद्ध गीतकार हैं। ‘मुंबई में का बा’ गीत प्रसिद्ध अभिनेता मनोज वाजपेयी ने गाया है। वरिष्ठ नाट्यकर्मी एवं प्रसिद्ध निर्देशक रिजवान, वरिष्ठ निर्देशक और ‘विदेशिया’, ‘मुद्राराक्षस’, ‘ध्रुवस्वामिनी’ और ‘आम्रपाली’ जैसे कठिन नाटक को मंच पर उतारने वाले वीर भूषण कुमार, पंडित बिरजू महाराज के शिष्य राहुल कुमार रजक ने भी सराहा है। राहुल रजक कथक के प्रसिद्ध नर्तक हैं और उन्होंने 17 देशों में अपनी प्रस्तुति दी है।

‘साहस बोल रहा है’ पुस्तक के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने वालों में हिंदी से लेकर लॉ, दर्शन, इतिहास, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र गणित आदि विषयों के पढ़ने-लिखने वाले शामिल हैं। लेखक एवं पुस्तक से प्रेम करने वालों की संख्या इतनी बड़ी है कि सबका नाम लिखना संभव नहीं है। इस संख्या में कवि के गाँव तरहा-चम्पानगर से लेकर मधेपुरा, पटना, उत्तरप्रदेश, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, नई दिल्ली आदि सम्मिलित हैं।

‘साहस बोल रहा है’ के लेखक तेजप्रताप कुमार तेजस्वी अत्यंत साधारण परिवार से आते हैं। उनके माता-पिता आज भी छोटे-मोटे किसान हैं। राजकीय मध्य विद्यालय तरहा डंडारी के सुदूर देहाती विद्यालय से दिल्ली विश्वविद्यालय तक का सफर उनके लिए काँटों से भरा रहा है। कलम से लेकर किताब तक की भावात्मक यात्रा में सुख-दुःख की अनंत वेदना एवं आनंद शामिल है। आज जब उनको इस रूप में मधेपुरा और उनके गाँव के लोग देखते हैं, तो अपने आप पर गर्व महसूस करते हैं और अपनी माटी को सार्थक मानते हैं। उनके इस संघर्ष यात्रा को उनके शिक्षक,अग्रज, मित्र,अनुज आदि दुस्साहस का कार्य मानते हैं और उनका उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। सच कहूँ तो तेजप्रताप कुमार तेजस्वी कोशी के ऐसे लाल हैं जिनपर कोसीवासी समेत बिहार और राष्ट्र को गर्व है। उन्हें अग्रिम रचनात्मक कार्य हेतु बधाई और हार्दिक शुभकामनायें। वे ऐसे निरंतर रचते रहें और आगे बढ़ते रहें।

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