मधेपुरा/ मंगलवार को जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज की कुव्यवस्था एवं सृजित पद के विरुद्ध 30 प्रतिशत से कम चिकित्सकों के पदस्थापित रहने से स्वस्थ्य सेवा प्रभावित रहने को लेकर सिविल सोसाइटी का शिष्टमंडल विधान सभा के उपाध्यक्ष नरेंद्र नारायण यादव से मिला. सिविल सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ एस एन यादव के नेतृत्व में वो विधानसभा उपाध्यक्ष से मिलने वाले शिष्टमंडल में सचिव राकेश रंजन, मुरारी सिंह एवं सागर यादव शामिल थे. शिष्टमंडल ने उन्हे मेडिकल कॉलेज के कुव्यवस्था के बारे मे विस्तार से बताया. विधानसभा उपाध्यक्ष ने बारीकी से सभी बिंदुओं पर बात कर शिष्टमंडल से जानकारी लिया.
उपाध्यक्ष नरेंद्र नारायण यादव ने शिष्टमंडल को बताया कि इस मामले में सिविल सोसाइटी द्वारा दिये गए आवेदन के साथ अपना पत्र तैयार कर इस मामले में मुख्यमंत्री से मिलेंगे. उन्हे वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए रिक्त पदों पर नियुक्ति एवं अन्य व्यवस्थाओं को सदृढ़ करने का अनुरोध करेंगे.
विधानसभा उपाध्यक्ष को सिविल सोसाइटी द्वारा सौपे गए मांग पत्र में बताया गया हैं कि मधेपुरा के जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों की भारी कमी है। चिकत्सकों के कुल सृजित 232 पद के विरुद्ध मात्र 62 चिकित्सक ही पदस्थापित है। पदस्थापित 62 चिकित्सकों में से प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर मात्र 24 ही है। कॉलेज मे अध्ययनरत बच्चो की पढाई के साथ मरीजों के इलाज इन्ही के जिम्मे रहती है। इस वजह से न सिर्फ मरीजों के जीवन से खिलवाड है बल्कि मेडिकल कॉलेज मे पढ़ रहे छात्रों के जीवन से भी खिलवाड है।
वही कुल चिकित्सकों के सृजित पदों के विरुद्ध पदस्थापन की अगर बात की जाय तो प्रोफेसर के स्वीकृत 24 पदों के विरुद्ध मात्र 4 ही पदस्थापित है। इसी प्रकार एसोसिएट प्रोफेसर के स्वीकृत 43 के विरुद्ध 10 एवं असिसटेंट प्रोफेसर के स्वीकृत 76 पद के विरुद्ध भी महज 10 ही पदस्थापित है। वही सीनियर रेजिडेंट के स्वीकृत 58 पद के विरुद्ध 26 एवं ट्यूटर के स्वीकृत 32 पद के विरुद्ध मात्र 10 पदस्थापित है। मांग पत्र में बताया गया है कि उक्त आंकड़ो से सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि मेडिकल कॉलेज मे किस तरह का इलाज मरीजों को मिल रहा हैं और किस प्रकार की शिक्षा मेडिकल कॉलेज में पढाई कर रहे भविष्य के चिकित्सकों को मिल रही होगी।
इसके अलावे यह भी मांग पत्र में कहा कि उक्त आंकडा स्वीकृत पद के विरुद्ध पदस्थापित चिकत्सकों का है। एक कड़वी सच्चाई यह भी हैं कि इतने कम पदस्थापित चिकित्सकों में से भी अधिकांश के अनुपस्थित रहने की बात अक्सर सामने आती है। इसके अलावे भी मेडिकल कॉलेज की तरह की कोई सुविधा यहाँ मरीजों को नही मिल रही है। हल्के फुल्के गंभीर मरीजों को भी रेफर कर दिया जाता है। अल्ट्रासाउंड, एम आर आई की सुविधा नही है।