जन संस्कृति मंच द्वारा गोष्ठी का आयोजन

मधेपुरा/ प्रेमचन्द्र जयंती समारोह सप्ताह के अवसर पर जन संस्कृति मंच द्वारा मधेपुरा में ब्रहाम्न्वादी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के बरक्स प्रेमचंद की सांस्कृतिक विरासत विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. शम्भू शरण भारतीय के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता खेत मजदूर नेता कामरेड सीताराम रजक ने किया.

कार्यक्रम का उद्घाटन भाजपा माले के मधेपुरा जिला संयोजक कामरेड रामचंद्र ने किया. अपने संबोधन में उन्होंने ब्राह्मणवादी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को स्वस्थ समाज के लिए सर्वांगीण विकास में बाधक बताया और सामाजिक परिवर्तन के लिए श्रम की संस्कृति स्थापित करने पर जोर दिया. संगोष्ठी की शुरुआत आधानंद यादव ने करते हुए कहा कि ब्राह्मणवादी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद भारतीय जनमानस को आज तक सच से दूर रखता आया है और आज के समय में तो मूल लक्ष्य से भटकाने का जोरदार अभियान सा चल रहा है .

संबोधित करते हुए बी एन मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व कुल सचिव प्रोफेसर सचिंद्र ने कहा कि इस देश की महान सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के बहुत बाद ब्राह्मणवादी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की झलक दिखाई पड़ने लगी थी और मौजूदा स्थिति को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि पानी अब सर से ऊपर बहने लगा. जरुरी इस बात की है कि अब गांव टोला में जाकर विमर्श बढ़ाया जाए.

संगोष्ठी के अंत में मुख्य वक्ता डॉक्टर सुरेश कुमार समाजशास्त्र विभाग ने ब्राह्मणवादी संस्कृति पर विस्तृत चर्चा करते हुए ब्राह्मणवादी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पर्वत प्रेमचंद की सांस्कृतिक विरासत पर शोध परक विश्लेषण कर महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराया.

अगले सत्र में कवि गोष्ठी की शुरुआत मशहूर गजल सियाराम यादव मयंक ने किया. शुरआत गजल किसी मजलूम का गुजरा हुआ घर देखे जाना से हुई .अंत में डॉक्टर सिद्धेश्वर कश्यप की गजल ने समसामयिक संदर्भों पर तीखा कटाक्ष किया. धन्यवाद ज्ञापन इंकलाबी नौजवान सभा के मधेपुरा जिला सचिव कामरेड कृष्ण कुमार ने किया.

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