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BNMU : कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक पर प्राथमिकी दर्ज

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मधेपुरा/  बीएन मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति,कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक पर कोसी प्रमंडल के शिक्षा उपनिदेशक ने मधेपुरा सदर थाने में प्राथमिक दर्ज करवाई है।

भले ही कुछ लोग शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक की विदाई की तैयारी में लगे हो लेकिन जाते-जाते पाठक सबको उसकी औकात बताने में लग गए हैं। राजभवन का आदेश हो या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सदन में दिया भाषण सबको ठेंगा दिखाते हुए पाठक जी ने एक और कृतिमान स्थापित कर दिया है। बिहार के एक विश्वविद्यालय को छोड़ सभी विश्वविद्यालय के कुलपति पर उन्होंने एफआईआर करवा दिया है। अब तक हुआ कितने पर है ये तो जानकारी नहीं है लेकिन सभी कुलपति और विश्वविद्यालय अधिकारी का वेतन रोकने के 28 फरवरी के आदेश के बाद 2 मार्च को सभी पर एफआईआर करने का आदेश शिक्षा विभाग के उप निदेशक दीपक कुमार सिंह ने सभी प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक को दिया है।

इसी क्रम में कोशी प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक अनिल कुमार ने मधेपुरा सदर थाना में बीएन मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति कुल सचिव और परीक्षा नियंत्रक पर नामजद एफआईआर दर्ज कराया है।

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बीएनएमयू के कुलपति, कुलसचिव व परीक्षा नियंत्रक पर केस : शिक्षा विभाग द्वारा 28 फरवरी को बुलाई गए बैठक में शामिल नहीं होने से बीएनएमयू प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। विभाग ने अकादमिक सत्रों के पीछे चलने को देखते हुए बीएनएमयू के कुलपति प्रो.विमलेंदु शेखर झा, कुलसचिव डॉ. मिहिर ठाकुर और परीक्षा नियंत्रक डॉ. शशिभूषण के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश कोसी प्रमंडल के क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक को दिया है। उच्च शिक्षा के उपनिदेशक दीपक कुमार सिंह के पत्र के आलोक में कोसी प्रमंडल के आरडीडीई अनिल कुमार ने सदर थाना में रविवार को आवेदन दिया है। आवेदन में कहा गया है कि भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय की लंबित परीक्षाओं पर विचार विमर्श करने के लिए 28 फरवरी को बैठक रखी गई थी। विभाग ने परीक्षाओं को समयबद्ध करने का निर्णय बहुत पहले ही ले लिया था साथ ही इस अकादमी सत्र में कौन सी परीक्षा कब लेनी है, इस संबंध में गजट अधिसूचना भी कर दी गई थी। जुलाई में हुई समीक्षा में पाया गया कि बीएनएमयू में तीन चार साल का अकादमी सत्र पीछे चल रहा है। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 30 के तहत परीक्षाओं के संचालन के लिए विधिवत अधिसूचना जारी की गई।

लगातार समीक्षा के बावजूद उक्त सूचना का पालन नहीं किया गया। यह भी सामने आया कि पुराने सत्र तो पीछे चल ही रहे हैं, कई अद्यतन अकादमी सत्र भी पीछे हैं। विभाग ने इसे डी बिहार कंडक्ट आफ एग्जामिनेशन एक्ट 1981 की कंडिका 9 का उल्लंघन माना और कंडिका 11 के तहत कार्रवाई करने को कहा है।

विभागीय लोक सेवकों के कार्य को अवरोध करने का आरोप :आवेदन यह भी कहा गया है कि 28 फरवरी की बैठक में विशेष कर लंबित परीक्षाओं के संबंध में रिपोर्ट नहीं देने, लंबित परीक्षाओं से संबंधित आवश्यक सूचना उपलब्ध नहीं कराने, जानबूझकर लंबित परीक्षाओं से संबंधित जानकारी देने से बचने और इंकार करने और आवश्यक सूचना उपलब्ध नहीं कराकर विभागीय लोक सेवकों के कार्य को अवरोध करने, विभाग के लोक सेवकों को ससमय परीक्षा संचालन कराने, परीक्षाफल प्रकाशित करने में सहयोग करने में विफल रहने को लेकर संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया था। दो दिनों के अंदर स्पष्टीकरण का जवाब दिया जाना था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। ऐसे में माना गया कि विश्वविद्यालय के संबंधित पदाधिकारियों को इस संबंध में कुछ नहीं कहना है। क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक अनिल कुमार ने सदर थाना में आवेदन देकर आपराधिक मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई का आग्रह किया है।

इस संबंध में जब कुलसचिव मिहिर कुमार ठाकुर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस संबध में उन्हें कोई भी जानकारी नहीं है। वहीं इस संबंध में अनुमंडल पुलिस अधीक्षक प्रवेंद्र भारती ने बताया कि आवेदन के आधार पर कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक पर मामला दर्ज कर लिया गया है।

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