Kosi Times
तेज खबर ... तेज असर

हमने पुरानी ख़बरों को archieve पे डाल दिया है, पुरानी ख़बरों को पढ़ने के लिए archieve.kositimes.com पर जाएँ।

- Sponsored -

- Sponsored -

- sponsored -

15008 दीपों से हुआ हिंदू नववर्ष का स्वागत, गंगा आरती कर की गई समृद्धि की मंगल कामना

- Sponsored -

सिंहेश्वर,मधेपुरा/ हिंदू नववर्ष का स्वागत मंगलवार को बड़े ही अनोखे अंदाज में किया गया. सिंहेश्वर मंदिर का शिवगंगा तट जब शाम को 15008 दीपों और सतरंगी बल्बों की रौशनी से जगमग होना शुरू हुआ, तो मानो ऐसा लगा जैसे आज स्वयं सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा इस दृश्य को देख रहे हों. स्वस्ति वाचन की मंगल ध्वनि साक्षात सरस्वती के कंठ से निकले स्वर की अनुभूति करा रहे थे. भगवान राम और बाबा महादेव के जयकारे गौरवशाली हिन्दू परम्परा को जीवंत कर रहे थे. बनारस की गंगा आरती परम आध्यात्म की ही अनुभूति करा रही थी. जी हां! अवसर था श्रृंगी ऋषि सेवा फाउंडेशन के सौजन्य से विक्रम संवत 2080 के पहले दिन के स्वागत समारोह का. अलग-अलग संस्थाओं के युवाओं के द्वारा बनाई गई रंगोली, सेल्फी के लिए श्रृंगी ऋषि, भगवान राम की प्रतिमा भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता रहा. पिछले कुछ वर्षों से सिंहेश्वर में शुरू की गई इस परंपरा से हिन्दू नववर्ष का आयोजन भी बड़ा भव्य बन जा रहा है.


भव्य और दिव्य रूप से किया गया नववर्ष का स्वागत : सिंहेश्वर मंदिर प्रांगण के शिव गंगा तट पर चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत 2080 का भव्य और दिव्य रूप से स्वागत किया गया. इस दौरान श्रृंगी ऋषि सेवा फाउंडेशन के द्वारा आध्यात्मिक सुरों से सुसज्जित संस्कृति आराधना हेतु 15008 दीप प्रज्वलित कर नव संस्कृति सृजन का संदेश दिया गया. तीन एकड़ में फैले शिव मंदिर परिसर को रंगोली और भगवा ध्वज से सजाया गया. शिवगंगा तट के चारों ओर मिट्टी के दीपों की जगमगाहट दीपावली जैसी मनोहारी छटा बिखेर रही थी. पंडिटन ने जब स्वस्ति वचन शुरू किया, तो मंदिर पर मौजूद सभी भक्तजन गुनगुना उठे.

विज्ञापन

विज्ञापन

गंगा आरती में शामिल हुए हजारों भक्त : काशी के तर्ज पर भव्य संध्या महाआरती की गई. सिंहेश्वर में वैसे तो इससे पहले भी गंगा आरती का आयोजन किया गया था, लेकिन इस बार के विशेष आयोजन ने हर किसी को काशी की गंगा आरती की भव्यता की याद ताजा कर दी. इस अवसर पर संस्था के संस्थापक भाष्कर कुमार निखिल ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों में नया साल मनाने का आधार किसी व्यक्तिगत घटना व स्थान से जुड़ा है. विदेशी लोग भी अपने नव वर्ष अपने देश की सामाजिक और धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार मनाते हैं. लेकिन, हमारा नववर्ष सबसे अनूठा और सर्वाधिक वैज्ञानिक है.

उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने शुरू किया था विक्रम संवत- हिंदू कैलेंडर की बात करें तो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ नए साल की शुरुआत हो जाती है. शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के साथ ही सृष्टि की रचना की थी. इसके बाद हर काल में अपनी-अपनी गणना के अनुसार शासकों ने अपना कैलेंडर चलाया. विक्रम संवत की शुरुआत उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने की थी. विक्रम संवत शुरू होते ही विक्रमादित्य ने अपनी प्रजा को सभी कर्जों से भी मुक्त कर दिया था. दूसरी ओर, चार युगों में से एक सतयुग का आरंभ इसी मास से हुआ था. यह सृष्टि के कालचक्र का पहला दिन माना जाता है. भारतीय संस्कृति में हिंदू नव वर्ष की ऐतिहासिक मान्यताएं हैं.

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

आर्थिक सहयोग करे

- Sponsored -

Leave A Reply

Your email address will not be published.