लालमोहन कुमार@जानकीनगर,पूर्णिया
सीमांचल व मिथिलांचल पर्व त्योहारों के लिए प्रसिद्ध रहा है यहां लोकपर्व सामा चकेवा कि इन दिनों थाना क्षेत्र के रामपुर तिलक,लादूगढ़,सोनापुर, रुपौली उत्तर,रूपौली दक्षिण,चांदपुर सहित सभी पंचायतों के घर घर धूम मची है। इस पर्व में भाई-बहन के बीच तकरार में प्यार का संदेश छिपा हैl बहने बड़े जतन से मिट्टी का सामा चकेवा सहित अन्य मूर्तियां बनाती है और भाई उसे तोड़ता हैl
कार्तिक शुक्ल सप्तमी से शुरू हुए इस पर्व का समापन मंगलवार की रात चुगला दहन के साथ होगाl फिलहाल पूरा इलाका ठंड की रात्रि के निरबता को तोड़ सामा चकेवा के मीठे गीतों से गूंज रहा हैl
बहनों द्वारा बनाई गई मूर्तियां को भाइयों के द्वारा तोड़ने की है परंपरा
इस पर्व को बहने अपने भाइयों की दीर्घायु होने के लिए मनाती हैl इसलिए इसे भ्रातृ प्रेम का अनुपम पर्व होने का गौरव प्राप्त हैl वही मनीषा कुमारी,आरती यादव,वर्षा कुमारी ने बताया कि इस पर्व में बहनों द्वारा बनाई गई मूर्तियों को भाइयों द्वारा तोड़ने की परंपरा हैl मिथिलांचल,सीमांचल व कोसी के गांवों में इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस भ्रातृ पर्व में घरेलू महिलाएं मैथिली भाषा में देवी देवताओं के गीत सहित सोहर,झूमर व संध्या गीत गाती है।
इस पर्व के लिए बच्ची सामा चकेवा की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाती है,जिनमें सामा चकेवा के अलावा हंसा,टिहुली, सतभैया,भरिया,भ्रमरा, लड्डू,बेचनी इत्यादि के साथ चुगला की मूर्ति भी बनाई जाती है इसके साथ ही मिट्टी के छोटे-छोटे बर्तन में चूड़ा, मूढी,गुर और मिठाई आदि भी रखते हैंl
मंगलवार की रात होगा सामा चकेवा का धूमधाम से विसर्जन
मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा की रात को जोते हुए खेत में सामा चकेवा का विसर्जन बड़े ही धूमधाम से किया जाएगाl बहनों के द्वारा बनाई गई मूर्तियां को भाइयों द्वारा इनमें तोड़ा जाता हैंl उसके बाद चुगला में आग लगाई जाती है।चुगला दहन के दौरान आतिशबाजी भी की जाती है।बहनें अपने भाइयों के हाथों आग बुझाती हैl इस दौरान “वृंदावन में आग लागल,कोई नै बुझावै छैय, हमर भैया भोला भैया दौड़ दौड़ बुझावै छैय” साथ ही “सामा खैले गेलिए, हो भैया, चकेबा लाय गेलै चोर” सरीखे गीत गाए जाते हैंl चुगला दहन के पश्चात बच्चियां व बहने अपने भाइयों को चूड़ा, मुढी,गुर और मिठाइयां देती है और उनके दीर्घायु होने की प्रार्थना करती है छोटी छोटी बच्चों में इस पर्व को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा हैl
थाना क्षेत्र के अलग-अलग गांवों में सामा चकेवा के गीत घर-घर गूंज रही है।वही मौसम कुमारी,लाली कुमारी,अंजलि कुमारी, आरती यादव सहित कई अन्य महिलाओं ने बताया कि सामा चकेवा पर भी मिथिला की सभ्यता,संस्कृति व संस्कार का बेमिसाल नमूना पेश करता हैl इस पर में हमारी संस्कृति की पूर्ण झलक मिलती है मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा की झक उजियारी रात को इस पर्व का समापन हो जाएगा।