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पांच दिवसीय श्री रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ का हुआ समापन

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राजीव कुमार@गम्हरिया,मधेपुरा

रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ समापन एवं अंतिम दिन सर्व श्री आशुतोष जी महाराज के शिष्य स्वामी यादवेन्द्रानंद जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा की भारत संतों एवं ऋषि मुनियों की धरती है।

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दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वाधान में गम्हरिया बाजार स्थित अनिता पैलेस प्रांगण में चल रहे पांच दिवसीय श्रीरामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ के आज अंतिम दिन प्रवचन करते हुए स्वामी यादवेन्द्रानंद जी ने कहा की भारत संतो की भूमि है, ऋषि मुनियों  की भूमि है ।इसलिए सदा वंदनीय है भारत की संस्कृति गुरु शिष्य परंपरा का साक्षात मूर्त रूप है ।संगीत का क्षेत्र है यह खेल का मैदान सभी जगह गुरु शिष्य परंपरा का जीवंत रूप देखने को मिलती है तो फिर अध्यात्म का क्या कहना अध्यात्म तो विशुद्ध गुरु शिष्य परंपरा का अनुसरण करती है ।आदिगुरु शिव से लेकर आज तक यह परंपरा निर्बाध रूप से चलती आ रही है। ब्रह्मा विष्णु और शिव का ही रूप बताया गया है गुरु ब्रह्मा रूप में जीव के अंदर आत्मा का प्रकट करते हैं विष्णु रूप में आकर वह उसका पोषण करते हैं और शिव रूप में जी सारे कर्मसंस्थान का संघार करते हैं और ऐसा करते हुए एक जीव को विश्व चेतना अवस्था तक पहुंचा कर उसे निर्माण का रूप देते हैं। जिसे पाकर जी आवागमन के चक्र से मुक्त हो जाता है परंतु दुर्भाग्य आज ऐसे गुरु शिष्य परंपरा का उल्लंघन करते हुए कुछ लोग अपनी मान्यताओं और धारणाओं को लेकर तरह-तरह के महत्त्व संप्रदाय का निर्माण कर लोगों को दिग्भ्रमित करते हैं और जब जब ऐसा होता है तब तक इस धरा धाम पर पूर्ण सद्गुरु का पदार्पण होता है।  समाज में व्याप्त कुरीतियां पाखंड अंधविश्वास को समाप्त कर शाश्वत जीवन प्रदान कर पुनः धर्म की स्थापना करते हैं जैसा कि भगवान श्री कृष्ण ने कहा है जैसे भगवान श्रीराम ने कहा आज गुरुदेव सबसे आशुतोष महाराज जी ने दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की स्थापना कब त्रस्त एव संतप्त हृदय को  शांत सहज सरल सौम्य बनाकर सरलता प्रदान कर रहे हैं और यह संभव है ब्रह्म ज्ञान और वह ब्रह्म ज्ञान मात्र दिव्य ज्योति जागृति संस्थान से ही प्राप्त हो सकता है। इसलिए आइए आप सभी लोगों का सादर आमंत्रण है आपके अंदर जो परमात्मा है उसका दर्शन करें और जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त करें।

इस दौरान प्रवचन सुनने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।खास तौर पर देखा गया कि महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे, एवं युवाओं भी प्रवचन सुन भगवान का अनुसरण किया।

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