एक नए तरह के वायरस का सामना करने के लिए अब देशवासियों को फिर से तैयार होना होगा। चीन में इस वायरस को लेकर भले खलबली मची हुई है लेकिन अपने देश में फिलहाल कमजोर स्थिति में है। फिर भी इसके प्रति लापरवाही करना खतरे से खाली नहीं है।
देश में ह्यूमन मेटा न्यूमो वायरस संक्रमण के मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार एक्शन मोड में आ गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में भी बैठकों का दौर जारी है। इसी के साथ केंद्र सरकार ने एक बार फिर से कहा है कि इस वायरस से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। वायरस का संक्रमण आमतौर पर हल्का होता है और अधिकतर मामले अपने आप ठीक हो जाते हैं। दुनिया भर में जिस तरह से ह्यूमन मेटा न्यूमो वायरस के मामले बढ़ रहे हैं, उसी तरह एक बार फिर अपने देश में कोरोना जैसा एच एम पी वी वायरस का प्रसार होने लगा है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस का जन्म चीन से हुआ था और इस बार भी एचएमपीवी वायरस चीन से ही फैल रहा है। हालांकि कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि यह कोई नया वायरस नहीं है। नीदरलैंड में 2001 में ही इसका पता लग गया था। उसके बाद से इस पर वैज्ञानिकों ने शोध भी शुरू कर दिया था। सम शीतोष्ण जलवायु वाले देशों में इसके मामले आते ही रहे हैं। भारत में भी अलग अलग इलाकों में मौसम के अनुसार 1 से 19 फीसदी तक इसके मामले आते रहे हैं।
यह सही है कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है और भारत में भी इसके मामले पाए जाते रहे हैं लेकिन मौजूदा समय में जिस रफ्तार से यह फैल रहा है उसको देखते हुए चिंता होना स्वाभाविक है। क्योंकि इस साल भी इस वायरस के कारण अस्पतालों पर बोझ बढ़ने लगा है जिसका अपना नुकसान होना लाजिमी है। क्योंकि कोरोना के समय भी अस्पतालों पर बेहिसाब बोझ बढ़ने लगा था जिसके कारण स्थिति काफी बिगड़ गई थी। कोरोना से मौजूदा माहौल को इसलिए जोड़ा जा सकता है क्योंकि एचएमपीवी वायरस में भी कोविद-19 की तरह ही खांसी और जुकाम वाले लक्षण पाए गए हैं और यह वायरस उसी तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है जितनी तेजी से 5 साल पहले कोरोना ने लोगों को बीमार किया था। चीन की बात छोड़ दीजिए अपने देश में ही सोमवार को देश के अलग-अलग हिस्सों में सात मामले सामने आ गए हैं। साफ है संक्रमण का प्रसार हो चुका है और अगर पर्याप्त जांच होती है तो कई अन्य मामले में भी सामने आ सकते हैं। लोग इसलिए भी डर रहे हैं क्योंकि कोरोना का प्रभाव भारत सहित पूरी दुनिया देख चुकी है धीरे-धीरे हर गांव हर शहर को कोरोना ने अपने कब्जे में ले लिया था । यही कारण है कि इस बार भी सभी को विशेष सावधानी बरतने की बात कही जा रही है। फिलहाल चीन ने इस वायरस को फ्लू की तरह माना है और दावा किया है कि सर्दियों के मौसम में इसके मामले आते ही रहते हैं।
चीन ने पहले भी सही जानकारी नहीं दी थी और यही कहा था कि कोविद-19 नया वायरस जरूर है लेकिन चिंता की कोई बात नहीं। मगर बाद में पूरी दुनिया की दुर्गति हो गई । फिर इस बार भी उसी तरह के बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं , जो कोरोना के समय बताए गए थे। जैसे छींकते समय मुंह को ढकना, भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचाना, सर्दी बुखार जैसे लक्षण आने पर घर में रहना, खूब पानी पीना और पोषक भोजन का सेवन करना आदि। ऐसे में बस यही कोशिश होनी चाहिए कि इस वायरस से मृत्यु दर कोरोना जैसी ना हो। अभी तो स्थिति ऐसी नहीं लग रही है लेकिन हमें सावधान जरूर रहना चाहिए।
केंद्र, राज्य और केंद्र प्रशासित क्षेत्रों की सरकारें हरकत में आ गई हैं और सरकारी एजेंसियां द्वारा लोगों को सलाह दिए जा रहे हैं कि पानी और साबुन से हाथ धोएं, सैनिटाइजर इस्तेमाल करें, गंदे हाथों से अपनी आंख नाक या मुंह को छूने से बचें, रोग के लक्षण वाले लोगों के साथ निकट संपर्क से बचें , छींकते समय मुंह और नाक को ढक कर रखें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक और आईसीएमआर की पूर्व महानिदेशक डॉ सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि यह एक ज्ञात वायरस है, जो ज्यादातर हल्के श्वसन संक्रमण का कारण बनता है। रोगजनक का पता लगाने में जल्दीबाजी करने के बजाय हमें सर्दी होने पर सामान्य सावधानी बरतनी चाहिए। भारत में अब तक इससे किसी की मौत की सूचना नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत में कई तरह के वायरस प्रसारित हैं इनमें से कई वातावरण में मौजूद भी हैं लेकिन इन श्वसन रोग जनकों में से लगभग तीन फ़ीसदी आई एल आई यानी इन्फ्लूएंजा और एस ए आर आई यानी गंभीर श्वसन से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि हमें आवश्यक समय पर सचेत रहना है अगर किसी को लक्षण है तो वह अपने डॉक्टर से सलाह ले सकता है। कुछ ही दिन में रिकवरी हो सकती है। देरी से पता चलने पर जरूर थोड़ा नुकसान हो सकता है या फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है, इसलिए समय पर संयम और उपचार दोनों जरूरी है।
केंद्र सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि यह वायरस सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि सभी उम्र के लोगों में संक्रमण का कारण बन सकता है। इसका मतलब है कि इस वायरस से सभी उम्र के लोगों को बचाने की जरूरत है। अभी तक सात मामले कर्नाटक, गुजरात तमिलनाडु और महाराष्ट्र से आए हैं। नागपुर में मंगलवार को एचएमपीवी के दो संदिग्ध मामले आए हैं। महाराष्ट्र में तो एक वकील ने बाकायदा हाई कोर्ट की नागपुर पीठ में एक याचिका दाखिल कर एचएमपीवी वायरस पर संज्ञान लेने राज्य सरकार को तत्काल कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की है।
वकील श्री रंग भंडारकर ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि 2020 में हाइकोर्ट ने कोविद-19 महामारी का स्वयं संज्ञान लिया था और एचएमपीवी वायरस को लेकर बढ़ती वैश्विक और क्षेत्रीय चिताओं के बीच अब इसी तरह की कार्रवाई की जरूरत है। हाई कोर्ट इस मामले पर 10 जनवरी को सुनवाई करेगा।
उधर तमिलनाडु सरकार ने कहा कि राज्य में एचएमपीवी से संक्रमित मिले दोनों मरीज ठीक हैं। इसी के साथ सरकार ने कहा कि सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित लोग एचएमपीवी की जांच करवा सकते हैं लेकिन इसके लिए कोई खास उपचार नहीं है। मास्क पहनना, दूरी बनाए रखना और हाथ साफ रखने जैसे उपायों को अपनाने के लिए लोगों को खासकर ऐसे लक्षण वालों को प्रेरित किया जा रहा है। कर्नाटक में भी दो मामले सामने आने के बाद वहां के प्रशासन ने लोगों से कहा है कि वे घबराएं नहीं,बल्कि सावधानी बरतें। कर्नाटक में विपक्षी भाजपा ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह वायरस को हल्के में ना ले क्योंकि चीन में इसका प्रकोप बढ़ गया है। उड़ीसा सरकार ने भी मंगलवार को राज्य में सभी चिकित्सा सुविधाओं और प्रयोगशालाओं को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं । बिहार में भी नीतीश सरकार ने कहा है कि एचएमपीवी वायरस को पराजित करने के लिए कोरोना की तर्ज पर ही इंतजाम किए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के डीएम, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के प्राचार्य और अधीक्षक, सिविल सर्जनों को इस वायरस से बचाव के लिए कोरोना की तर्ज पर ही इंतजाम करने का निर्देश दिया है। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि स्वास्थ्य सचिव सभी सिविल सर्जनों से चर्चा करें और दिशा निर्देश जारी करें। उत्तराखंड में स्वास्थ्य निदेशालय ने सभी जिलों को वायरस की रोकथाम और बचाव के लिए जरूरी दिशा निर्देश जारी किए हैं। मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सवेरा श्रीवास्तव ने वर्चुअल तरीके से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने एचएमपीवी वायरस की रोकथाम के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की सलाह दी है। केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वह लोगों को बताएं कि कैसे वह बच सकते हैं । इसी के साथ केंद्र ने राज्यों से कहा है कि स्वांस संबंधी बीमारियों के मामलों पर नजर रखने और निगरानी की समीक्षा करने को कहा है। एच एम पी वी वायरस पर केंद्र ने कहा कि यह सांस संबंधी कई बीमारियों में से एक है। एचएमपीवी वायरस भी खासकर सर्दियों और बसंत की शुरुआती महीना में सभी उम्र के लोगों में संक्रमण का कारण बन सकता है।
अब यह वायरस विभिन्न राज्यों में फैल रहा है। सरकारों ने सभी को सचेत करना शुरू कर दिया है अब यह लोगों की जिम्मेदारी है कि वे कितने सतर्क रहेंगे और संयम बरतेंगे। मौजूदा वायरस भले बहुत खतरनाक नहीं है लेकिन लापरवाही करने पर खतरनाक हो सकता है।