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हेमलता म्हस्के को मिला डा बी आर आंबेडकर सबाल्टर्न पत्रकारिता अवार्ड

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दिल्ली ब्यूरो

महिलाओं सहित हाशिए पर पड़े वंचित समुदायों के अधिकारों की आवाज बुलंद करने के लिए पुणे की लेखिका, पत्रकार और समाज सेविका हेमलता म्हस्के को प्रथम डॉक्टर बी आर अंबेडकर सबाल्टर्न जर्नलिज्म अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

इस अवार्ड का उद्देश्य उन पत्रकारों, लेखकों और स्तंभकारों के प्रयासों को प्रोत्साहित करना है, जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जागृति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं और देश में संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हेमलता म्हस्के को यह अवार्ड हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र टाउन हॉल टाइम्स द्वारा दिया गया। डा आंबेडकर की याद में इस तरह के अवार्ड देने की परंपरा की शुरुआत वरिष्ठ पत्रकार और संपादक सुरेंद्र कुमार ने की है। दिल्ली के राजेंद्र भवन में बाबा साहेब अंबेडकर की पुण्यतिथि पर आयोजित एक जागृत समारोह में हेमलता म्हस्के को जाने-माने एंकर दारिन शाहिदी सहित
ग्लोबल लॉ फोरम के अध्यक्ष प्रभाकरण लिंकन, आमलोगों के हक के लिए संघर्ष करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण मांझी और जीएसटी कमिश्नर शक्तिवेल ने प्रदान किया। इन अतिथियों ने इस मौके पर देश के विभिन्न राज्यों के जोखिम मोल लेकर लेखन करने वाले पत्रकारों और लेखकों को भी सम्मानित किया।

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समारोह में एकमात्र सम्मानित होने वाली महिला पत्रकार और लेखिका हेमलता म्हस्के पुणे में सक्रिय सावित्रीबाई सेवा फाउंडेशन की सचिव हैं और इस संस्था के जरिए पिछले 5 सालों से महिलाओं, बच्चों, दिव्यांग व भिखारियों और बुजुर्गों के हित में सामाजिक गतिविधियों का संचालन करती आ रही हैं । हेमलता म्हस्के ने लॉक डाउन के दौरान उल्लेखनीय कार्य किया। पुणे की गरीब बस्तियों के सैकड़ों जरूरतमंदों को राशन सहित अन्य जरूरी सामानों का वितरण किया था, जो बेरोजगार महिला के लिए कदापि संभव नहीं था। लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अपनी सूझबूझ से लाखों रुपए जुटाए और उसे समाज को समर्पित किया।

म्हस्के सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख की याद में भारतीय महिला शक्ति सम्मान समारोह का आयोजन शुरू किया जो अब तक दिल्ली और पुणे में कई बार आयोजित किए जा चुके हैं। सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन के साथ महाराष्ट्र में विधवा विरोधी प्रथाओं के उन्मूलन के लिए चल रहे आंदोलन को राष्ट्रीय बनाने का प्रयत्न भी किया।
देश और समाज का मार्गदर्शन करने वाले महान स्त्री और पुरुषों की जीवन गाथा सहित महिलाओं, बच्चों, पर्यावरण और पशुओं पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ इनके आलेख देशभर की पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होते रहते हैं।
हेमलता म्हस्के अपने कार्यों के लिए भागलपुर और मुंगेर में तिलकामांझी राष्ट्रीय सम्मान और आचार्य लक्ष्मीकांत मिश्रा राष्ट्रीय सम्मान से और दिल्ली में प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय सम्मान और स्त्री शक्ति राष्ट्रीय सम्मान के साथ अनेक देश भर की अनेक संस्थाओं और संगठनों द्वारा सम्मानित होती रही हैं। इनकी प्रख्यात समाज सेविका सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख और हजारों अनाथ बच्चों की मां के रूप में शुमार की जाने वाली सिंधुताई सपकाल पर दो किताबें प्रकाशित हुई हैं। इनमें सिंधुताई सपकाल पर लिखी पुस्तक सविता चड्ढा समाज सेवी संस्था द्वारा पुरस्कृत ही चुकी हैं।

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