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फेसबुक लाइव के जरिए एक अभूतपूर्व प्रचेष्ठा ज्ञान टॉक विथ शशिष

प्रो डॉ देबज्योति मुखर्जी ने कहा छोटा लक्ष्य अपराध है और पाप भी है

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भागलपुर ब्यूरो/इन दिनों फेसबुक लाइव के जरिए एक अभूतपूर्व प्रचेष्ठा देखने को मिल रहा है और वो है : द ज्ञान टॉक विथ शशिष । हर गुरुवार नया नया विषय पर ज्ञान टॉक का निःशुल्क प्रसारण किया जाता है जिसका उद्देश्य है इनफॉर्मेशन से ट्रांसफॉर्मेशन । इस गुरुवार 5 वे एपिसोड का विषय था : लीडरशिप प्रायोरिटीज । गेस्ट की भूमिका में जुड़े महागुरु देबज्योति जी ने बड़े ही सरल भाषा में लीडरशिप और लीडरशिप प्राथमिकताओं के बारे में बताया ।

प्रोग्राम की शुरुवात प्रेरक वक्ता व द ज्ञान टॉक के होस्ट शशिष कुमार तिवारी ने एक लीडर कौन होता है इस सवाल से किया । इसके जवाब में महागुरु ने बताया कि एक लीडर वो होता है जो लोगों से वो काम करवाए जो वो खुद करना चाहता है और लोग इसलिए वो काम कर रहें हों क्योंकि उन्हें वो काम करना पसंद आ रहा हो। यानि डर, लालच या मजबूरी में किसी से कोई काम करवाना लीडरशिप नहीं है । उन्होंने बताया कि लीडर लोगों के अंदर उस काम को करने के लिए प्रेम पैदा कर देते हैं जो काम वो खुद करना चाहते हैं । लोगों के अंदर किसी काम या लक्ष्य के लिए प्रेम कैसे पैदा किया जाए के सवाल पर महागुरु ने बताया कि ये तभी संभव है जब लक्ष्य स्वार्थ से ऊपर उठ कर बनाया गया हो । उन्होंने बताया कि अगर किसी लक्ष्य में फाइनेंशियल, ह्यूमन और सोशल तीनों फैक्टर्स का समायोजन हो तभी उस लक्ष्य के लिए लोगों के हृदय में प्रेम उत्पन्न किया जा सकता है ।

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लीडरशिप प्राथमिकताओं पर चर्चा के क्रम में महागुरु ने कहा कि लीडरशिप प्रायोरिटीज लीडर बनने के बाद ही नहीं तय होती बल्कि ये तो लीडर बनने की सोच से ही शुरू हो जाती हैं । जैसे ही आप लीडर बनने की सोचते हैं वहीं से आपको 5 महत्वपूर्ण प्राथमिकताएं तय कर लेनी होगी । पहली बहुत बड़ा ख़्वाब देखना। छोटा लक्ष्य अपराध है और पाप भी है । क्योंकि ईश्वर ने आपको अथाह शक्तियों के साथ भेजा है और अगर आप छोटा सोचते हैं तो आप उस ईश्वर का अपमान करते हैं । इसलिए जितना बड़ा सोचना हो, सपना देखना हो, लक्ष्य लेना हो लीजिए। दूसरी प्राथमिकता है सकारात्मक सोचना । जब आप बड़े ख़्वाब देखेंगे तो कई लोग आपका मनोबल कम करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे । कई बार तो आपको भी लगेगा कि आपको इतना बड़ा ख़्वाब नहीं देखना चाहिए । ऐसी स्थिति से उबरने का एक ही तरीका है आपको अपने संकुचित होती हुई सोच को पकड़ के चौड़ा करना होगा और कोई रास्ता नहीं है । आपको स्वयं को ये समझाना होगा कि अगर लोगों को लग रहा है कि मैंने बड़ा सोच लिया है और ये संभव नहीं है तो मैं बिल्कुल सही रास्ते पर हूं । तीसरी प्राथमिकता है टीम बनाने की । आपको ये सोच के रखना है कि मुझे आगे टीम बनानी है क्योंकि कोई भी बड़ा काम बिना टीम के संभव नहीं है । चौथी प्राथमिकता आप निर्णय लेंगे । लीडर को निर्णय लेना होता है । बिना निर्णय लिए आप लीडर नहीं बनते और आखिरी प्रायोरिटी कि कुछ भी हो अब चल देना है, रुकना नहीं है, बिना डरे, बिना खुद पर शक किए । जब एक बार आपने निर्णय कर लिया तो अब आप मुड़ कर बार बार पीछे नहीं देखेंगे । महागुरु ने ये 5 लीडरशिप प्राथमिकताएं उन लोगों के लिए बताई जो लीडर बनने की सोच रहें हैं । इसके बाद उन्होंने लीडर बनने के बाद की 3 सबसे बड़ी प्राथमिकताओं का ज़िक्र किया । पहली इंस्पायर और इनफ्लुएंस करना; लोगों को, कार्य प्रणाली को, स्ट्रेटजी को । दूसरा काम बांटना । एक अच्छे लीडर को काम बांटना आना चाहिए और उसे अपने लोगों पर भरोसा करना चाहिए । उन्होंने बताया लगभग 60% लीडर्स अपने लोगों की योग्यता पर पूर्ण विश्वास नहीं कर पाते । तीसरी और अंतिम प्राथमिकता है सही मूल्यों की प्रतिस्थापना करना । कार्यक्रम में आगे शशिष जी के सवाल कि इंसान अपने ही जीवन को कैसे बढ़िया से लीड करे का जवाब देते हुए महागुरु ने कहा कि सिर्फ़ वही लोग अपने जीवन का नेतृत्व कर सकते हैं जो खुद को अच्छे से जानते हों । बिना स्वयं को जाने आप अपने लीडर नही बन सकते । स्वयं को जानने के लिए आपको आत्ममंथन करना होगा । SWOT एनालिसिस करना होगा । इसमें टीचर की भी बड़ी भूमिका होती है क्योंकि कई बार अधिकतर लोग अपने स्ट्रेंथस या कमजोरियों को सही से नहीं पहचान पाते ।

नए साल की शुभकामनाएं देते हुए देबज्योति जी ने सबको एक बड़ा ही अद्भुत संदेश दिया की : लिव योर लाइफ विथ अ मिशन । कोई मिशन बना लीजिए, आप अपने जीवन को किसी मिशन के साथ जीना शुरू कीजिए । अगला एपिसोड लीडरशिप जर्नी पर होगा इसकी घोषणा के साथ और मीडिया को बहुत बहुत धन्यवाद दे कर कार्यक्रम का समापन हुआ । इस टॉक के जरिए हजारों लोगों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव आ रहा है ।

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