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  • पटना पुस्तक मेले में कोशी के मौजूदा बुनियादी सवालों पर विमर्श का हुआ आयोजन

    पटना ब्यूरो/कोशी नव निर्माण मंच और सीआरडी के संयुक्त तत्वाधान में कोशी के मौजूदा बुनियादी सवालों पर विमर्श का आयोजन पटना पुस्तक मेला के नालंदा सभागार में हुआ।विमर्श में वक्ताओं ने कोशी तटबन्ध के बीच के सरकारी उपेक्षा की बात उठाई वहीं विश्व बैंक के कर्ज से बनने वाले तटबन्ध के बीच ही सुरक्षा बांध


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    पटना ब्यूरो/कोशी नव निर्माण मंच और सीआरडी के संयुक्त तत्वाधान में कोशी के मौजूदा बुनियादी सवालों पर विमर्श का आयोजन पटना पुस्तक मेला के नालंदा सभागार में हुआ।विमर्श में वक्ताओं ने कोशी तटबन्ध के बीच के सरकारी उपेक्षा की बात उठाई वहीं विश्व बैंक के कर्ज से बनने वाले तटबन्ध के बीच ही सुरक्षा बांध के स्पर की राजनीति, पर चर्चा हुई। विश्व बैंक के कर्ज के बावजूद 2008 के कोशी के अधूरे पुनर्वास, सम्पूर्ण कोशी क्षेत्र में कृषि भंडारण, खरीद की कमी व उसके आधार पर उद्योग घन्धे के विकास नही होने, पलायन करने वाले मजदूरों के ज्वलंत सवाल उठाते हुए पूरे क्षेत्र को विशेष क्षेत्र का दर्जा की मांग की और चल रही सभी परियोजनाओं का समीक्षा कर, वहां के परिवेश के अनुसार योजनाओं का निर्माण व क्रियान्वयन को बातों पर जोर दिया।

    कार्यक्रम की शुरुआत महेंद्र यादव ने विषय प्रवेश कराते हुए कोशी के मौजूदा चुनौतियों की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया।तटबन्ध के बीच के पीड़ित प्रमोद कुमार राम ने विगत वर्ष अपने घर कटने की व्यथा बताई उन्होंने कहा कि बाढ़ के बीच हर साल रहने की विवशता है। जिले के अफसर झूठ बोल देते ही कि कोशी में बाढ़ ही नही आती है। तटबन्ध के बीच शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था नही है नही वहां स्वास्थ्य के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र या टीकाकरण की ही व्यवस्था है । अनेक प्रसूता की प्रसव के समय समय से बाहर नही जाने के कारण मौत होती है।


    पीड़ित जयप्रकाश कुमार ने कहा कि हमारे क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा से बहुत लोग वंचित रहते है केवल 10 प्रतिशत माध्यमिक शिक्षा तक पहुंचते है बाकी पलायन कर, किसी तरह भरण पोषण करते हैं।
    समाजिक कार्यकर्ता सुनील झा ने कहा कि विकास के नाम पर स्थानीय लोगों के जीवन के तरीके को नजरअंदाज किया गया है। सरकार यह तय करती है कि तथ्य क्या है और विश्वास क्या है।

    प्रख्यात जल व नदी विशेषज्ञ रणजीव कुमार ने व्यापक अर्थों में सभी पहलुओं को रखते हुए राजनीतिक अर्थव्यवस्था के कारण बने सिविल इंजीनियरिंग के नेतृत्व वाले आपदा नियंत्रण ढांचे से आयी तबाही का उल्लेख किया।
    कमलेश शर्मा ने आंदोलन को अपने राजनीतिक निहितार्थ देखने की बहस की बात उठाई।
    अनिल अंसुमन ने कहा कि सरकार व राजनीतिक सम्वाद से ही समाधान निकलेगा।


    आंनद कुमार ने राहत मानसिकता की बात उठायी।
    एस एम अहमद ने राजनीतिक प्रभाव पैदा करने की जरूरत पर बल दिया।ग़ालिब ने इस अभियान को आगे बढ़ाने की बात करते हुए धन्यवाद दिया।
    कार्यक्रम का संचालन राहुल यादुका ने किया। वही व्यवस्था में रितिक गोपाल, ज़हीब, उदय प्रताप, विनोद, संजीव आनंद, अमित व राहुल गौरव इत्यादि थे।

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