सुपौल: कोर्ट में ससमय गवाह की पेशी नहीं कराने पर डीएम-एसपी को 24-24 हजार का लगा जुर्माना

:: एएसजे सप्तम की कोर्ट ने सोमवार को जारी किया आदेश :: अधिकारियों के वेतन से जुर्माना राशि काटकर पीएम रिलिफ फंड में जमा करने का फरमान

सुपौल। हत्या से जुड़े एक मामले में सुनवाई की निर्धारित तिथियों पर कोर्ट में गवाह की पेशी नहीं करने को लेकर कोर्ट ने डीएम और एसपी के खिलाफ सख्त आदेश जारी किया है। एएसजे सप्तम अविनाश कुमार की कोर्ट ने मामले में सोमवार को डीएम कौशल कुमार और एसपी शैशव यादव को 24-24 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की यह राशि दोनों अधिकारियों के वेतन से काटी जानी है। कोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग बिहार के प्रधान सचिव को आदेश की प्रति मिलने के 15 दिन के अंदर दोनों अधिकारियों के वेतन से जुर्माना राशि काट कर उसे प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराते हुए उसकी रिपोर्ट कोर्ट को उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।

14 महीने पहले हाई कोर्ट ने दिया था छह महीने का समय :किशनपुर थाना में दर्ज कांड संख्या 237/19 की सुनवाई के क्रम में 6 जनवरी 2020 को सुपौल कोर्ट में लिस्टिंग हुई। सत्र वाद सं-196/20 में हत्या के सात आरोपियों में से छह को कोर्ट से जमानत दी गई। एक आरोपी मदन यादव उर्फ संतन कुमार 17 जनवरी 2020 से ही जेल में है। मदन ने पटना हाई कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने 10 अगस्त 2022 को संबंधित कोर्ट को छह महीने के अंदर ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने डीएम और एसपी को गवाह की कोर्ट में ससमय पेशी कराना सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा है कि बिहार क्रिमिनल कोर्ट रूल ऑफ हाई कोर्ट की रूल 34 के तहत डीएम और एसपी ही निर्धरित तिथि पर गवाह की कोर्ट में पेशी के लिये जिम्मेदार हैं। हालांकि हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी अब तक एएसजे सप्तम की कोर्ट में अभियोजन की ओर से 12 में से 11 गवाह ही प्रस्तुत किए गए। लिहाजा कोर्ट ने इसे हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना माना।

कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि डीएम जिले में अभियोजन के शीर्ष प्रतिनिधि हैं और पुलिस अधिकारियों की मॉनिटरिंग एसपी करते हैं। बावजूद इसके दोनों अधिकारियों ने हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन को लेकर किसी तरह की गंभीरता नहीं दिखाई।

कोर्ट ने डीएम को माना अक्षम, अयोग्य व कोर्ट के आदेश के अनुपालन में रुचि नहीं लेने वाला अधिकारी :एएसजे सप्तम की कोर्ट ने अपने आदेश में सुपौल के डीएम पर कई सख्त टिप्पणी भी की है। कोर्ट ने डीएम को अक्षम, अयोग्य और कोर्ट के आदेश के अनुपालन में रुचि नहीं लेने वाला अधिकारी करार दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सुपौल डीएम के कार्य से प्रतीत हो रहा है कि न्यायालय, न्यायिक प्रक्रिया और न्यायिक प्रशासन प्रणाली के प्रति इनका कोई सम्मान नहीं है। साथ ही बिहार क्रिमिनल कोर्ट रूल ऑफ हाई कोर्ट की रुल 34 के तहत डीएम और एसपी को गैर जवाबदेही माना गया है

इसके अलावा कोर्ट ने दोनों अधिकारियों के कार्यों को कोर्ट की अवमानना करार दिया है। एएसजे सप्तम की कोर्ट ने आदेश की कॉपी सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव और केन्द्रीय गृह मंत्रालय के गृह सचिव को भी भेजने का आदेश दिया है। साथ ही केंद्रीय गृह सचिव से डीएम के विरूद्ध उचित कार्रवाई पर विचार करने के लिए कहा गया है।

किशनपुर थाना का है मामला, अपहरण के बाद हुई थी हत्या :यह मामला किशनपुर थाना क्षेत्र के परसा के है। गांव के विष्णु देव यादव(29) का अपहरण हो गा था। इसको लेकर विष्णु के पिता जगदीश यादव ने 12 अक्टूबर 2019 को 10 लोगों को नामजद करते हुए थाना में अपहरण का आवेदन दिया था। पुलिस ने 13 अक्टूबर को केस दर्ज किया। जांच के दौरान विष्णु देव का शव भी बरामद हो गया। मामले में सात लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। छह लोगों को जिला कोर्ट से ही जमानत दे दी गई थी।

पुलिस ने कोर्ट में ट्रायल के दौरान 12 गवाह की जानकारी दी । जब गवाही का समय आया तो 11 गवाह ही कोर्ट में प्रस्तुत हुए। एक गवाह अभी तक प्रस्तुत नहीं किया जा सका है।

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