जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी के पद पर स्नेहा ने पायी सफलता

सहरसा/ बेटियों को अभिशाप समझने वाले लोगों के लिए मिशाल एवं अपने माता पिता शीलानंद झा व रीता देवी के लिए स्नेहा वरदान से कम नहीं है. इसे स्नेहा कुमारी ने बीपीएससी द्वारा आयोजित जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी के पद पर सफलता प्राप्त कर साबित किया है. प्रथम प्रयास में ही वो राज्य स्तर पर 30 वा स्थान प्राप्त किया है. स्नेहा बनगांव निवासी पूर्व मुखिया नीलू देवी और समाजसेवी शंकर नारायण झा की पुत्रवधु है. स्नेहा ने अपने सफलता का श्रेय अपने माता पिता परिजन सहित पति ई प्रेसेंजित झा को दिया है.

मालूम हो कि लोकगीत गायन विधा की चीर परिचित नामचीन हस्ती स्नेहा झा मैथिली पारम्परिक गीतों में अपनी पहचान बनायी है. वीरपुर निवासी स्नेहा झा के स्वर साधना एवं मैथिली से लगाव मिथिलांचल के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंच द्वारा स्नेहा को कोशी कोकिला की उपाधि संग सिद्धस्त लोकगीत गायिका की ख्याति प्रदान की गयी है. मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी स्नेहा ने 2009 में देश की राजधानी दिल्ली से सफर की शुरुवात दिल्ली से प्रसारित दूरदर्शन के सुबह सवेरे नामक कार्यक्रम में अपनी सुर छेड़ी तो देखने व सुनने वाले स्तब्ध रह गए. स्नेहा के संगीत के क्षेत्र में यह पहला पायदान था. इसके बाद बिहार सरकार के विभिन्न कार्यक्रम बालिका मेला, नाट्य महोत्सव, कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा बार बार पुरस्कृत होती रही. भारतीय नृत्य कला मंदिर द्वारा आयोजित शुक्र गुलजार, पटना दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में अपनी गायकी की दम खम से बहुत लोकप्रिय है. वर्तमान समय में ललित नारायण मिश्र विश्वविद्यालय से संगीत शिक्षा से विधिवत स्नाकोत्तर की है.

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