प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने के लिए जागरूक हो रहे लोग

प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने का किया जा रहा है आह्वान

दीपावली खुशियों का त्योहार है। इसको सभी से मिलकर मनाना चाहिए। दीवाली के त्योहार पर पटाखे व आतिशबाजी आदि नहीं चलानी चाहिए। यह हमारे लिए घातक है, वहीं यह समाज तथा वातावरण के लिए भी हानिकारक है।

सत्यप्रकाश गुप्ता’विदुरजी’

सामाजिक शैक्षणिक कल्याण संघ के संरक्षक सत्यप्रकाश गुप्ता विदुरजी ने कहा कि दीपावली पर्व खुशियों का इस पर्व पर लोग धूम-धड़ाके में जमकर आतिशबाजी की जाती है। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। साथ वायु और ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। पर्यावरण और सेहत को ध्यान में रखते हुए हमें प्रदूषण मुक्त दीपावली मनानी चाहिए।

 

संजय कुमार सुमन

समाजसेवी सह साहित्यकार संजय कुमार सुमन ने कहा कि प्रदूषण न फैले इसके लिए ईको-फ्रेंडली दीपावली मनाने की जरूरत है, सभी को इस दिशा में जागरूक होना चाहिए। हमें खुशियों के साथ पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा। सरसों के तेल के दीये जलाएं जिससे प्रदूषण न हो तथा धुएं व तेज आवाज वाले पटाखों से दूरी बनानी चाहिए।

ललिता कुमारी

गृहणी ललिता कुमारी ने कहा कि पटाखे चलाने से हमारे वातावरण में जहर फैलता है तथा ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। हमें पटाखा रहित दीवाली मनानी चाहिए। दीवाली पर पटाखे, तेल व मोमबत्तियों के जलने से प्रदूषण बढ़ता है। पटाखे चलाने की इस रीति रिवाज को बंद करना समय की मुख्य जरूरत है।


छात्रा काजल कुमारी ने कहा कि अगर हम सभी मिलकर वातावरण को पटाखे, आतिशबाजी के धुएं तथा बेतहाशा शोर से निजात दिलाने का प्रयास करेंगे, तभी हम कुदरत की कायनात के कद्रदान बन सकते हैं। दीवाली का त्योहार हमें खुशहाली, शांति व सद्भावना के लिए प्रेरित करता है। अपने दिलों से चिता व निराशा के अंधेरे को दूर कर ज्ञान के दीप जलाने का संदेश देने का त्योहार है।


शिक्षक गोविंदा कुमार ने कहा कि दीवाली के मौके पर अरबों रुपये के पटाखे, आतिशबाजी चलाकर मानव जीवन को खतरनाक धुएं से अन्य कई तरह की बीमारियों की और धकेल रहे हैं। प्रदूषण रहित दीवाली मनाने तथा आसपास सफाई का ध्यान रखें, ताकि बिहार फिर से हरा-भरा खुशहाल, तंदरुस्त व प्रदूषण मुक्त राज्य बने।

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