जिला प्रशासन के खिलाफ विधायक ने निकाला विरोध मार्च

सिंहेश्वर,मधेपुरा/ सिंहेश्वर के गांधी पार्क में विधायक चंद्रहास चौपाल की अध्यक्षता में जिला प्रशासन के खिलाफ सर्वदलीय नेता व जनप्रतिनिधियों ने धरना पर बैठने के साथ- साथ पूरा मेला क्षेत्र में विरोध मार्च किया गया. मेला परिसर में पैदल मार्च करते हुए जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन के रवैया के कारण मेला पूरी तरह से बर्बाद हो रहा है. साथ ही मंदिर की व्यवस्था भी ध्वस्त होती चली जा रही है. हर वर्ष कुछ नया बखेड़ा जरूर कर देती है. जिला प्रशासन के द्वारा मेला का डाक इतना ज्यादा कर दिया जाता है कि मेला में आने वाले दुकानदार को रोना पड़ता है. इसके साथ- साथ मेला में आए लोगों को इसका नुकसान भुगतना पड़ता है. जमीन का दाम ज्यादा होने के कारण सामानों का दाम बढ़ जाता है. वही अस्थाई दुकानदारों से जबरन भाड़ा वसूल किया जाता है. जिला प्रशासन को इस डाक को खंडित करते हुए 25 लाख कर दें. जिससे कि मेला को व्यवस्थित तरीके से लगाया जा सके.

विधायक ने यह भी बताया कि मेला में आए हुए मनोरंजन के साधन को अभिलंब चालू कराया जाए. जिला प्रशासन के द्वारा जो जनप्रतिनिधियों का उपेक्षा किया गया है. उसके लिए एक बैठक बुलाया जाए. जिसमें सभी दलों के नेता, वर्तमान जनप्रतिनिधि, पूर्व जनप्रतिनिधि सहित क्षेत्र गणमान्य लोग को बैठक में बुलाया जाए. इसके बाद मंदिर और मेला के व्यवस्था पर चर्चा हो सके और जो भी कमी है उसे तुरंत ठीक किया जा सके. .

वहीं दूसरी तरफ प्रखंड प्रमुख इस्तियाक आलम, उप मुख्य पार्षद परवेज आलम, पूर्व प्रमुख राजेश कुमार झा ने बताया कि गांधी पार्क को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है. इस वर्ष तो इसका रंग रोगन भी नहीं हो सका. जबकि पहले मिलने से पांच महीने पूर्व ही एक माली को रखकर पूरे गांधी पार्क में विभिन्न प्रकार की फुल के पौधे लगाए जाते थे. मेला के अवसर पर यह गांधी पार्क काफी मनमोहक होता था. मेला देखने आए लोग गांधी पार्क को जरूर देखने आते थे. इसकी रंग बिरंगी बगीचा को देख लोग प्रशंसा करते थे. जो अब एकदम नहीं रहा. इस वर्ष तो ना रंग रोगन किया गया. ना ही किसी प्रकार का पौधा लगाया गया. सूखे पत्ते चारों ओर बिखरे पड़े हैं. गंदगी फैली हुई है. इससे जिला प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ा. वह अपने राजस्व के बारे में ही सोचते रहे.

वहीं दूसरी तरफ मेला उद्घाटन में गणमान्य लोगों को को कार्ड भेज कर आमंत्रण दिया जाता था. पिछले कुछ वर्षों से इस प्रथा को ही समाप्त कर दी गई है. किसी को भी एक कार्ड नहीं दिया गया. ना किसी को बुलाया गया. पहले इस उद्घाटन समारोह में काफी ज्यादा लोग आते थे. लेकिन इस वर्ष काफी कम लोग मौजूद रहे. कुर्सियां खाली ही रह गई. जो कुर्सी भरी थी.उसमें लगभग विभागीय लोग ही थे. यह रवैया जिला प्रशासन को उदासीनता और उपेक्षा पूर्ण साबित करता है. जिला प्रशासन को इस ओर पहल करने की आवश्यकता है.

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