मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टर के साथ मारपीट,  डेढ़ घंटा इमरजेंसी रहा बंद

मधेपुरा/मधेपुरा जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में देर शाम जमकर हंगामा हो गया। बताया जाता है कि एक मरीज के परिजनो ने हंगामा करते हुए ड्यूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट कर दी है। जिसके बाद मेडिकल कॉलेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी सहित अस्पताल में चिकित्सा संबंधित सभी कार्यों को लगभग डेढ़ घंटे तक पूर्ण रूप से रोक दिया। 

घटना के संबंध में बताया जाता है कि देर शाम 20- 25 की संख्या में सहरसा जिला के पतरघट थाना क्षेत्र अंतर्गत सखुआ वार्ड संख्या चार निवासी गुंजन कुमारी(42) को भर्ती करने के लिए मेडिकल कालेज पहुंचे थे। उसे शुक्रवार को अहले सुबह लगभग तीन बजे पेट दर्द की शिकायत पर इमरजेंसी में इलाज के लिए लाया गया था जो स्वस्थ होकर अपने घर चली गई थी लेकिन दुबारा देर शाम दोबारा इमरजेंसी में उन्हें भर्ती कराने लाया गया चिकित्सक उसे ओपीडी में दिखाने की सलाह दिए साथ भर्ती के लिए दूसरा पुर्जा बनवा कर लाने के लिए कहा। इसके बाद लोगों ने किसी को फोन किया और अचानक पूरे इमरजेंसी वार्ड में 20-25 लोग जमा हो गए और ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों से गलिगलौज धक्का मुक्की करने लगे। इस दौरान एक डॉक्टर का मोबाइल भी टूट गया। डॉक्टरों ने इसकी सूचना अधीक्षक के साथ- साथ पुलिस को भी दी। पुलिस ने स्थल पर पहुंच कर आवश्यक जानकारी लेते हुए तीन लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया।

वहीं दूसरी तरफ अस्पताल के डॉक्टरों ने मांग करते हुए कहा कि मरीज के परिजनों से नोकझोक की घटना बराबर होती रहती है जिसके लिए सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ- साथ यह भी कहा कि अगर उचित कार्रवाई नही की गई तो शनिवार को ओपीडी को पूर्ण रूप से बंद कर दिया जायेगा। इसके बाद भी अगर कोई व्यवस्था नहीं की गई तो इमरजेंसी सेवा को भी बंद कर दिया जायेगा.

वहीं अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि डॉक्टरों के सुरक्षा से संबंधित शिकायत डीएम एसपी सहित उच्चाधिकारी को की जाएगी. वहीं मरीज के परिजनों ने बताया कि मरीज की तबीयत ज्यादा खराब थी जिस वजह से उसे इमरजेंसी में दिखाने पहुंचे थे. लेकिन डॉक्टरों के द्वारा मरीज को एडमिट करने से साफ तौर पर मना कर दिया गया. कहा गया कि मरीज को ओपीडी का पुर्जा कटा कर ओपीडी में दिखाया जाय. जब मरीज को इमरजेंसी में भर्ती करने के लिए कहा जाने लगा तो एडमिट करने के एवज में पैसों की मांग की जाने लगी. जिसके बाद धीरे- धीरे विवाद बढ़ने लगा.

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