मजदूर-किसान महापंचायत में मेधा पाटकर ने कोशी तटबन्ध के बीच के पीड़ितों के साथ एकता का किया एलान

सुपौल/ कोशी नव निर्माण मंच द्वारा विश्व नदी दिवस के दिन शहर के समीप बैरिया मंच पर, तटबन्ध के बीच जारी सर्वे में किसानों की रैयती जमीन बचाने, उसके जटिल प्रक्रियाओं में सुधार, वहां के लोगों के बुनियादी सुविधाओं की गारंटी व कोशी की समाधान के सवाल पर किसान मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जिसमें हजारों हजार की संख्या में लोग भाग लिए।

महा पंचायत को सम्बोधित करते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन व जन आंदोलनो की नेता मेधा पाटकर ने कोशी तटबन्ध के बीच के पीड़ित लोगों के साथ अपनी एकजुटता का एलान करते हुए कहा कि नदी की डूब, उसके बाद निकलने वाली रैयती जमीन को सर्वे में बिहार सरकार दर्ज करना गैर वाजिब है सर्वे के इस प्रावधान का बिहार सरकार तत्काल बदलाव करें। तटबन्ध के भीतर के उजड़े लोगों का पुनर्वासित करना सरकार का दायित्व है इन लोगों को सभी बसाहटों स्कूल, उप स्वास्थ्य केंद्र सहित बुनियादी सुविधाओ का लाभ मिलना वाजिब है 4 हेक्टेयर तक लगान की छूट के बाद भी लगान लिए जाने की बात उठाते हुए उन्होंने कहा कि माफ लगान की वसूली गैर जिम्मेवार अफ़सरशाही नतीजा है महापंचायत के सभी फैसलों पर सन्गठन के प्रतिनिधियों से राज्य सरकार को बात करनी चाहिए।

विश्व नदी दिवस के दिन देश में नदियों के बांध व तटबन्ध बनाकर कैद करने वाली विकास नीतियों का जिक्र करते हुए कहा कि आज हर नदियां बाढ़ व सूखा दोनो से ग्रसित है. नदियां के साथ छेड़छाड़ बहुत खतरनाक होते जा रहा है. नदियों के प्रकृतिक बहाव को रोकने से कटाव पैदा होता है। उन्होंने कहा कि जिस अमेरिकी नीतियों से आकर्षित होकर अपने यहां बड़े बांध और तटबन्धों के निर्माण हुए उन्हें जानना जरूरी है कि अमेरिका में सौकड़ो बांधों को अब तोड़ा गया है नदियों की अविरलता और निर्मलता के नारे को बुलंद करते हुए कोशी बचाओ, मानव बचाओ का नारा भी दिया। कोशी समस्या के समाधान के लिए सरकार से प्रयास करने की बात को मजबूती से उठायी वहीं जनसंगठनों की तरफ से भी कोशी पीपल्स कमीशन के कार्यों को तेज करने को कहा।

उन्होंने कहा कि आज की महापंचायत की बातें दुनिया में जाएंगी कोशी के साथ देश व राज्य की हर नदी घाटी के आंदोलनों की एकता होनी जरूरी है। सामाजिक कार्यकर्ताओं को बदनाम करने और फर्जी मुकदमों में फंसाने की आलोचना करते हुए, जाति व धार्मिक गुंडागर्दी के खिलाफ संविधान प्रदत मूल्यों की रक्षा के लिए लोगों का आह्वान किया। उन्होंने वादा कि महापंचायत ने जो प्रस्ताव पारित किया है उन कोशी के लोगों के आंदोलन में समर्थन करने का प्रस्ताव संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक में वे रखेंगी जिससे देश भर के संघर्षरत किसान कोशी की लड़ाई को बल प्रदान करने में मदद करेंगे। 2008 के कुसहा त्रासदी के मंजर का अपने आंखोंदेखी हाल बनाते हुए, नर्मदा के विस्थापितों 37 सालों के संघर्ष की कहानी को भी बताया।

महापंचायत को सम्बोधित करते हुए महाराष्ट्र से किसान के बीच से आयी नूतन मालवी ने कहा कि पीड़ितों के साथ प्रशासन के झूठ व निकम्मेपन के खिलाफ आंदोलन होना चाहिए। समाजिक कार्यकर्ता अरविंद मूर्ति ने कहा कि आपकी एकता ही आपके आंदोलन को मंजिल तक पहुंचायेगी, गंगा मुक्ति आंदोलन के उदय ने कहा कि प्राकृतिक नदी को कृत्रिम नदी बनाने से बचना चाहिए। उन्होंने एक नाटक का गीत भी सुनाया कि ….नदिया हमारी है जान राजा और रानी आये क्हां से लेने हमसे लगान…।

पटना उच्च नयायालय के अधिवक्ता मणिलाल ने कहा कि डिजिटल हो रही दुनिया और चंद्रमा पर जाने वाले कोशी तटबन्ध के भीतर के विकास को भी आकर देंखे तो यहां के लोगों की पीड़ा का पता चलेगा।
युवा लेखक पुष्पराज, सामाजिक कार्यकर्ता विनोद कुमार, यूसुफ अली सेंटर से गुड्डी, सुप्रसिद्ध कवि व लेखक राम श्रेष्ट दिवाना, गांधी स्मारक निधि के मंत्री विनोद रंजन, विद्याकर झा ने महा पंचायत को सम्बोधित किया

वहीं अब्दुल करीम, महावीर , पूर्व सरपंच हरेराम मिश्र व महेन्द्र यादव, विनोद यादव, जवाहर बाबू, अंबिका देवी मुखिया, राजेन्द्र ठाकुर, प्रियतम मुखिया, सुशील यादव इत्यादि लोगों ने कोशी की पीड़ा से अवगत कराया। वहीं संस्थापक महेन्द्र यादव ने महा पंचायत के सभी प्रस्तावों को रखा, इसकी अध्यक्षता मंच के जिला संरक्षक भुवनेश्वर प्रसाद, मो अब्बास, वरिष्ठ सर्वोदयी अवध बाबू, व मंच के परिषदीय अध्यक्ष सन्दीप यादव ने संयुक्त रूप से किया। महापंचायत के आये प्रस्तावों का अनुमोदन करने के साथ ही आगे सरकार से सम्वाद फिर सत्यग्रह के रास्ते जन आंदोलन बढ़ाने का फैसला भुवनेश्वर प्रसाद ने सुनाया। संचालन जिला अध्यक्ष इंद्र नारायण सिंह व NAPM के जिला संयोजक रामचन्द्र यादव ने संयुक्त रूप से किया। धन्यवाद ज्ञापन राहुल यादुका ने किया.

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