मधेपुरा/ जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज की कुव्यवस्था एवं सृजित पद के विरुद्ध मात्र 30 प्रतिशत चिकित्सक के पदस्थापित रहने को लेकर सिविल सोसाइटी का शिष्टमंडल विधान पार्षद डॉ अजय कुमार सिंह से मिला। उन्हें तथ्य और आंकड़ों के साथ व्यवस्था में कमी के बारे में बताया गया। उन्हे बताया गया कि मेडिकल कॉलेज मे स्वीकृत चिकित्सकों के पद के विरुद्ध महज 30 प्रतिशत पदस्थापित है। उपाध्यक्ष डॉ आरके पप्पू व किशोर कुमार के नेतृत्व में गए शिष्टमंडल में सचिव राकेश रंजन, संदीप कुमार गुड्डू एवं सागर यादव शामिल थे।
विधान पार्षद द्वारा इस मामले को लेकर विधान परिषद के सत्र में उठाने एवं स्वास्थ्य मंत्री व अपर मुख्य सचिव से मिलने को आश्वस्त किया। उपाध्यक्ष डॉ आरके पप्पू द्वारा बताया गया कि इस तरह मेडिकल कॉलेज मे न सिर्फ मरीजों के इलाज के नाम पर रेफर किया जाता हैं बल्कि MBBS कर रहे मेडिकल छात्रों के भविष्य से भी खिलवाड़ है। ज्ञापन में बताया गया कि मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों की भारी कमी है। चिकत्सकों के कुल सृजित 232 पद के विरुद्ध मात्र 62 चिकित्सक ही पदस्थापित है। पदस्थापित 62 चिकित्सकों में से प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर मात्र 24 ही है। कॉलेज मे अध्ययनरत बच्चो की पढाई के साथ मरीजों के इलाज इन्ही के जिम्मे रहती है। इस वजह से न सिर्फ मरीजों के जीवन से खिलवाड है बल्कि मेडिकल कॉलेज मे पढ़ रहे छात्रों के जीवन से भी खिलवाड़ है।
वही कुल चिकित्सकों के सृजित पदों के विरुद्ध पदस्थापन की अगर बात की जाय तो प्रोफेसर के स्वीकृत 24 पदों के विरुद्ध मात्र 4 ही पदस्थापित है। इसी प्रकार एसोसिएट प्रोफेसर के स्वीकृत 43 के विरुद्ध 10 एवं असिसटेंट प्रोफेसर के स्वीकृत 76 पद के विरुद्ध भी महज 10 ही पदस्थापित है। वही सीनियर रेजिडेंट के स्वीकृत 58 पद के विरुद्ध 26 एवं ट्यूटर के स्वीकृत 32 पद के विरुद्ध मात्र 10 पदस्थापित है।
उपाध्यक्ष डॉ आर के पप्पू व किशोर कुमार ने बताया कि सिविल सोसाइटी ने मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था सुधार एवं शहर के विकास, सौंदर्यीकरण को प्राथमिकता में रखा है। मेडिकल कॉलेज को लेकर लगातार अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधि से मिलकर उन्हे वस्तु स्थिति से अवगत कराया जा रहा है। विधानसभा उपाध्यक्ष नरेंद्र नारायण यादव से भी इससे पूर्व मिलकर सारी बातों को विस्तार से बताते हुए ज्ञापन सौंपा गया है। वही स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को संबोधित पत्र जिलाधिकारी को सौंपा गया है। व्यवस्था सुधार के लिए लगातार कोशिश की जाती रहेगी।