अंग प्रदेश में अमृत पुरुष अमरेंद्र का होगा सार्वजनिक अभिनंदन

75 से अधिक पुस्तकों के सर्जक अमरेंद्र सिर्फ साहित्यकार नही, जीती जागती संस्था हैं-प्रसून लतांत

भागलपुर ब्यूरो/अंगिका, हिंदी और उर्दू के 75 पुस्तकों के सर्जक अमृत पुरुष अमरेंद्र का नए साल पर 5 जनवरी 20 23 को अंग की धरती पर सार्वजनिक अभिनंदन होगा। ऐसा आयोजन अंग की धरती पर पहली बार हो रहा है। अंगिका हिंदी और उर्दू में पिछले 4 दशकों से अधिक समय से साहित्य साधना करने वाले डॉ अमरेंद्र का योगदान न सिर्फ साहित्य की विभिन्न विधाओं के लेखन के क्षेत्र में है बल्कि उनका व्यक्तित्व विराट है  और वे एक साहित्यकार मात्र नहीं है बल्कि एक संस्था है और उनके सार्वजनिक अभिनंदन से अंग की धरती पर एक नई साहित्यिक सांस्कृतिक परंपरा की नींव भी डाली जा रही है। उनके अभिनंदन समारोह का आयोजन भागलपुर  और आसपास के जिलों की साहित्यिक विरासत के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में चर्चित भगवान पुस्तकालय में होगा। इस पुस्तकालय में आज से पहले देश के कई नामी-गिरामी साहित्यकारों की उपस्थिति दर्ज हो चुकी है। दिनकर ,रेणु और शरतचंद्र की नगरी भागलपुर में अमृत पुरुष के अभिनंदन के साथ उनके लिखे साहित्य का आकलन, संवाद, सहित उनके लिखे गीतों की संगीतमय प्रस्तुति भी होगी। इस समारोह का आयोजन अंग प्रदेश का प्रमुख जन संगठन अंग जन गण  और अंग मदद फाउंडेशन कर रहा है । समारोह का संयोजन वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन और चर्चित समाजसेविका और अंग मदद फाउंडेशन की संस्थापक सचिव वंदना झा कर रही हैं।

अंग जन गण के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा सुधीर मंडल ने डा अमरेंद्र के सार्वजनिक अभिनंदन को अंग प्रदेश का गौरव बताते हुए अंगवासियों से अपील की है कि समारोह में ज्यादा से ज्यादा लोग गवाह बनने जरूर पहुंचे। संचालन वरिष्ठ समाज कर्मी डा मनोज मीता,  वरिष्ठ पत्रकार और समाज कर्मी प्रसून लतांत और मगही और हिंदी की कवयित्री लता प्रा सर करेंगें। अध्यक्षता अंग प्रदेश के प्रसिद्ध व्यवसाई और समाज कर्मी डॉक्टर शंभू दयाल खेतान करेंगे विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रसिद्ध समाज कर्मी और अध्यक्ष डॉ रतन कुमार मंडल चर्चित साहित्यकार रंजन कुमार प्रसिद्ध लेखक अनिरुद्ध विमल और वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र सिंह मौजूद रहेंगे वरिष्ठ कवि चंद्रकांत राय डॉ अमरेंद्र से साहित्य पर सीधा संवाद करेंगे और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मृदुला शुक्ला अभिनंदन अभिनंदन पत्र प्रस्तुत करेंगे। इस समारोह की ओर देश भर के साहित्यकारों की नजर टिकी हुई है।

वरिष्ठ साहित्यकार डा मृदुला शुक्ला का कहना है कि डा अमरेंद्र ने अपना जीवन बहुत ईमानदारी से जीया है। नये परिवेश की देहरी पर रचा जाने वाला उनका साहित्य नये भावबोध, नयी नैतिकता और नये मूल्यों से अनुप्राणित है। ‘जनतंत्र का विक्रमशिला ‘, पीर का पर्वत पुकारे’ के प्रतिरोधी और तेजाबी स्वर, आक्रोश की पृष्ठभूमि में, सामाजिक विषमता के विरुद्ध क्रोध, हिंसा और क्षोभ से भरे हैं, तो प्रेम की पटकथा को संवेदनशीलता और समर्पण की धरती पर रोपने वाले साहित्यकार का नाम है डॉ अमरेन्द्र।  विधाता , सलेश, गेना, दीपा  , सत्ती जैसे कालजयी चरित्र को आपने सिरजा है।

प्रसिद्ध साहित्यकार और आलोचक सत्यकेतु बताते है कि डा अमरेंद्र व्यक्ति, परिवार, समाज और देश-काल के अंतर्संबंध एवं अंतर्द्वंद्व को कारीगरी से कुरेदते हैं और शिद्दत से रचते हैं। विधा काव्य हो या कथा या नाटक, निबंध हो या आलोचना या फिर अनुवाद डॉ. अमरेंद्र हर जगह पूरी क्षमता से उपस्थित हैं। उनका लेखक रूप जितना प्रखर है, संपादक रूप उतना ही सजग। हिन्दी और अंगिका दोनों भाषाओं में प्रचुर मात्रा में उन्होंने साहित्य सृजन किया है। खासकर काव्य के विविध रूपों में जिस दक्षता के साथ उन्होंने कलम चलाई है, वह उनकी सतत साधना और सुचिंतित वैचारिकी का स्वत:प्रमाण है। गीत, नवगीत, ग़ज़ल, कविता जैसे काव्य के प्रचलित और लोकप्रिय रूपों से इतर खंड काव्य, प्रबंध काव्य और महाकाव्य जैसे शास्त्रीय स्वरूपों की सम्यक रचना कर डॉ. अमरेंद्र ने साधक साहित्यकार का आसन प्राप्त किया है। यह सबके वश का नहीं है।

संस्कृत के विद्वान डा कृपा शंकर पांडेय का कहना है कि मैंने अमृत पुरुष अमरेंद्र का काम देखा तो हतप्रभ रह गया।एक आदमी अकेले इतना काम कैसे कर सकता है और वह भी घर -गृहस्थी को सँभालते हुए।बिहार के इतिहास पर दृष्टिपात करते हैं तो समझ में आता है कि अंगिका और हिन्दी के शिखर पुरुष , माँ भारती के वरदपुत्र डॉ० अमरेन्द्र जैसे साहित्यकार बिहार में ही हो सकते हैं। वे इतने सरल हैं कि छोटे से छोटे तुकबंदी करने वाले से भी मित्रवत् आचरण करते हैं।जब वे अपने समकालीन साथियों की कविताओं का अनुवाद करके ख़ुश होते हैं तो सहज ही विश्वास नहीं होता कि यह वही डॉ. अमरेन्द्र हैं जो ” कर्ण” जैसे अतुलनीय महाकाव्य के रचनाकार हैं।

फेसबुक पर उनकी पोस्ट पढ़ता रहता हूँ और अक्सर यह महसूस करता हूँ कि दूसरे व्यक्ति के गुणों को खोजकर उसे प्रकाशित कैसे किया जाता है; जिसे यह सीखना हो तो वह डॉ. अमरेन्द्र  की फेसबुक वाल पर जाकर यह सीख सकता है।

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